साहित्यकारों और वैज्ञानिकों के बीच संवादहीनता के कारण नहीं रचा जा रहा अच्छा वैज्ञानिक साहित्य: मेवाड़ी

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साहित्यकारों और वैज्ञानिकों के बीच संवादहीनता के कारण नहीं रचा जा रहा अच्छा वैज्ञानिक साहित्य: मेवाड़ी


नैनीताल, 26 मार्च (हि.स.)। वरिष्ठ लेखक एवं विज्ञान कथाकार देवेंद्र मेवाड़ी ने कहा कि वैज्ञानिकों और साहित्यकारों के बीच संवादहीनता को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। इस कारण अच्छा वैज्ञानिक साहित्य नहीं लिखा जा पा रहा है। कहा कि दोनों ने अपनी-अपनी अलग दुनिया बसा ली है। इस कारण वैज्ञानिक न तो डिकंस के उपन्यास पढ़ते हैं, न शेक्सपियर के नाटक, वहीं साहित्यकारों को विज्ञान के सामान्य नियमों तक की जानकारी नहीं होती।

श्री मेवाड़ी मंगलवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में कवयित्री महादेवी वर्मा के 118वें जन्मदिन के अवसर पर ‘साहित्य और विज्ञान’ विषयक महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य और विज्ञान, दोनों कल्पना और विचारों के सहारे सच तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। विज्ञान श्विज्ञान विधिश् के सहारे तो साहित्यकार कल्पनाओं के असीमित आकाश में उड़ान भरकर यथार्थ का चेहरा गढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि कई ख्यातिनाम साहित्यकारों ने विज्ञान साहित्य रचा और कई वैज्ञानिकों ने साहित्य में उल्लेखनीय योगदान दिया। प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर एक जाने-माने विज्ञान कथाकार हैं, जिन्हें अपनी आत्मकथा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के हिंदी विभागाध्यक्ष तथा सृजन पीठ के कार्यकारिणी सदस्य प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि महादेवी वर्मा सृजन पीठ को उत्तराखंड की प्रमुख साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यदि इसे राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक संस्थान के रूप में स्थापित किया जा सके तो यही महादेवी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। स्वागत संबोधन में डीएसबी परिसर की हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. चंद्रकला रावत ने कहा कि महादेवी वर्मा ने रामगढ़ में भवन बनवाकर जो साहित्य सृजन किया, वह साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। उनके प्रयास से इस क्षेत्र को राष्ट्रीय पहचान मिली है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वरिष्ठ कवि डॉ. नंदकिशोर हटवाल, जहूर आलम, हर्ष काफर, प्रो. नवीन चंद्र लोहनी, प्रो. प्रीति आर्या, डॉ. माया गोला, डॉ. तेजपाल सिंह और हिमांशु डालाकोटी ने अपनी कविताओं का पाठ किया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि लोकेश नवानी ने अपनी कविताएँ भी प्रस्तुत कीं। संचालन पीठ समन्वयक मोहन सिंह रावत और अतिथि व्याख्याता मेधा नैलवाल ने किया। इस अवसर पर डीएसबी परिसर की पूर्व निदेशक प्रो. कविता पांडे, डॉ. नगेंद्र द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार, डॉ. मथुरा इमलाल, मोहित जोशी, अक्षय जोशी, शिवानी शर्मा, ललित मोहन, हिमांशु विश्वकर्मा, पूजा गोस्वामी, भगवती, बहादुर सिंह कुँवर, ललित नेगी, डॉ. कंचन आर्या व सृष्टि गंगवार सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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