हिसार के युवा वैज्ञानिक विकास धामू को पेरिस में मिला प्रतिष्ठित ‘इंफ्लेक्शन अवॉर्ड’

विश्व के शीर्ष 30 युवा वैज्ञानिकों में शामिल हुए विकास धामूसेवानिवृत एपीआरओ छोटूराम धामू के पुत्र है विकास, बधाई देने वालों का तांताहिसार, 30 मार्च (हि.स.)। जिले के गांव सीसवाल निवासी विकास धामू को विश्व के शीर्ष 30 युवा वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। उन्हें हाल ही में फ्रांस के पेरिस में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ‘इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025’ से सम्मानित किया गया। विकास की इस उपलब्धि पर प्रशंसकों द्वारा उसे बधाई देने का तांता लगा हुआ है। विकास के पिता छोटूराम धामू, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सहायक सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी (एआईपीआरओ) के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।विकास को यह सम्मान मार्बल द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिसे बिल गेट्स (माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक) द्वारा स्थापित ब्रेकथ्रो एनर्जी फैलोज और क्वाड्रेचर क्लाइमेट फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है। इनफ्लेक्शन विश्व का पहला पुरस्कार कार्यक्रम है जो भावी युवा वैज्ञानिकों की पहचान कर उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली अवसरों से जोड़ता है। यह कार्यक्रम 30 चुने गए वैज्ञानिकों को पेरिस में एक विशेष दो-दिवसीय समिट के लिए एकत्रित करता है-जो कि अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संधि (पैरिस एग्रीमेंट) का जन्मस्थान भी है।इस संधि के अनुसार, वैश्विक तापमान में वृद्धि को सीमित करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र स्तर का बढ़ना, और सूखे जैसी आपदाओं में तेज़ी आ सकती है। यहां तक कि मुंबई और पश्चिम बंगाल जैसे तटीय क्षेत्र भी भविष्य में समुद्र में समा सकते हैं। इस पुरस्कार का उद्देश्य प्रारंभिक स्तर के वैज्ञानिकों को विश्वस्तरीय विशेषज्ञों से जुड़ने, उनके अनुसंधान को वैश्विक पहचान दिलाने, और उनके नवाचारों का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करना है, ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस समाधान विकसित किए जा सकें।विकास, जो इस वर्ष के इनफ्लेक्शन पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं, उन वैज्ञानिकों में से हैं जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध क्रांतिकारी समाधान विकसित कर रहे हैं। उन्हें दुनिया भर के शीर्ष संस्थानों-जैसे एमआईटी, आक्स्फोर्ड, स्टेनफोर्ड आदि-के सैंकड़ों आवेदकों में से कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया। विकास धामू को उनकी वैज्ञानिक उत्कृष्टता, दूरदर्शिता, और वास्तविक दुनिया में प्रभाव डालने की क्षमता के लिए विशेष रूप से सराहा गया। इस वर्ष के 30 विजेताओं में से विकास धामू एशिया की केवल दो यूनिवर्सिटियों से चयनित वैज्ञानिकों में शामिल हैं और आसियान क्षेत्र से एकमात्र विजेता हैं। विकास का शोध समुद्र की गहराई में मौजूद प्राकृतिक स्थितियों-जैसे उच्च दबाव और कम तापमान-का उपयोग कर वायुमंडलीय सीओ-2 को ठोस हाइड्रेट्स के रूप में लंबे समय तक सुरक्षित तरीके से संग्रहित करने का तरीका प्रदान करता है। यह पद्धति न केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ है, बल्कि आर्थिक रूप से भी व्यावहारिक है। इस तकनीक के माध्यम से एक लाख गीगाटन से अधिक सीओ-2 को संग्रहित किया जा सकता है-जो कि 2050 तक वैश्विक कार्बन न्यूट्रलिटी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। विकास धाम ने अपनी क्लाथरेट हाइड्रेट तकनीक पर आधारित शोध को लेकर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में कई लेख प्रकाशित किए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर