साधना काल में राम कथा सुनना पूर्ण तीर्थयात्रा समान: डॉ. प्रणव पण्ड्या

WhatsApp Channel Join Now




हरिद्वार, 31 मार्च (हि.स.)। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन देश-विदेश से आए गायत्री साधकों को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने रामचरितमानस में तीर्थों के स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि साधना काल में रामकथा का श्रवण करना पूर्ण तीर्थ के समान है। तीर्थ शब्द का अर्थ है-पवित्र करने वाला। तत्काल फल देने वाला पवित्र तीर्थ कहलाता है। उन्होंने कहा कि रामकथा तीर्थों का समूह है, इसमें कहीं गंगा, यमुना, सरस्वती, सरयू जैसे पवित्र नदियाँ तो कहीं प्रयागराज, नैमिषारण्य, अयोध्या, मिथिला, चित्रकूट, पंचवटी, रामेश्वरम जैसे तीर्थ मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राम कथा में राम भक्ति की गंगा प्रवाहित है। भगवान राम स्वयं साक्षात् तीर्थ स्वरूप है, भगवान राम जहां-जहां गए और निवास किया। वे सभी स्थान तीर्थ बन गए।

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख ने कहा कि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने युगतीर्थ शांतिकुंज की स्थापना की, जहां सभी धर्म-जाति के लोग तीर्थ सेवन एवं साधना कर सकते हैं, यह सभी के लिए जनसुलभ है। जन सामान्य को तीर्थ के सही स्वरूप समझाने हेतु आचार्यश्री ने तीर्थ सेवन से आत्म परिष्कार की पुण्य परंपरा का पुनर्जीवन, सही और सशक्त तीर्थ यात्रा आदि कई पुस्तक लिखी हैं, जिसका स्वाध्याय से साधक तीर्थ की सही परिभाषा समझ सकता है। उन्होंने कहा कि एकनिष्ठ भाव से की जाने वाली साधना, सत्य, तप, दान, क्षमा, संयम, ब्रह्मचर्य जैसे श्रेष्ठ आचरण का पालन भी तीर्थ के श्रेणी में आते हैं।

इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने ‘मां तेरे चरणों में हम शीश झुकाते हैं.....’ भावगीत प्रस्तुत कर साधकों के मन को उल्लसित कर दिया। समापन से पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने श्री रामचरितमानस जी की सामूहिक आरती की। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी सहित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय-शांतिकुंज परिवार तथा देश-विदेश से आये सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

Share this story

News Hub