ग्वालियरः लू-तापघात से बचने हल्के रंग के कपड़े पहनें और खूब पानी पिएँ

ग्वालियर, 19 मार्च (हि.स.)। इन दिनों प्रदेश में गर्मी तीखे तेवर दिखाने लगी है। सूरज की बढ़ती तपन से लू – तापघात की संभावना बढ़ जाती है। अधिक तापमान में तेज हवाएं गर्म लू में तब्दील हो जाती हैं। ऐसी स्थिति से बचाव के लिये राज्य आपदा प्रबंधन विभाग एवं चिकित्सकों द्वारा लोगों को लू व तापघात से बचाव के लिये सलाह दी गई है।
बुधवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी लोग धूप मे बाहर जाते समय हमे सफेद या हल्के रंग के ढीले कपडों का प्रयोग करे एवं टोपी, रंगीन चश्मे व छतरी का उपयोग अवश्य करे तथा अत्यधिक पानी पीयें। गर्मी के दिनो में अपने घरों को ठण्डा रखे। दरवाजे एवं खिडकियॉ बंद रखे एवं रात में तापमान कम होने के समय खिडकियॉ एवं दरवाजे को खोले जा सकते है। गर्मी के दिनों में तापमान 35 डिग्री से अधिक होने पर अधिक मात्रा मे पेये पदार्थ पीयें। गर्मी के दिनो मे जहा तक संभव हो बाहर जाने से बचें। धूप मे खडे होकर व्यायाम मेहनत/अन्य कार्य न करें, बहुत अधिक भीड, गर्म घुटन भरे कमरों, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम मे अत्यावश्यक होने पर ही करे। गर्मी के दिनों मे अपने शरीर को ठण्डा रखने हेतु ठण्डे पानी से स्नान करें या ठण्डे कपडे से शरीर को ढकें।
गर्मी के दिनो मे चक्कर, घबराहट, कमजोरी, अत्यधिक प्यास लगना एवं सिर मे दर्द, हाथ पैरो मे जकडन की शिकायत हो तो शीघ्र अतिशीघ्र ठण्डी जगह पर जाकर आराम करे एवं अपने शरीर का तापमान लेवें। अगर उपयुक्त उपचार से आराम न मिले तो तत्काल निकट के स्वास्थ्य केन्द्र मे जाये। अगर स्वास्थ्य केन्द्र मे रेफर करने मे विलम्ब हो रहा हो तो ऐसे मरीजों को सीधा लेटाकर पैरो की तरफ से ऊँचा करे एवं ठंडे पानी मे कपडा भिगोकर शरीर को ढंक देंवे। गर्मी के मौसम मे गर्दन के पीछे का भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढंककर ही धूप में निकले। ओ.आर.एस, अन्य पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करे। दोपहर 12 से 3 बजे के समय बाहर निकलने से बचें एवं अधिक से अधिक पानी पीयें। हल्के, ढीले, हवादार एवं सूती कपडे पहनकर ही घर से बाहर निकले साथ ही गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढंक कर ही धूप मे निकलें। यात्रा करने समय पानी अवश्य रखें एवं समय-समय पर पानी पीते रहे, चाय, कॉफी, एल्कोहल वाले पेय, कार्बोनेटेट पदार्थ का उपयोग न करे। गर्मी के दिनों मे बाहर का खाना एवं बासीं खाना, दूषित जल एवं सडे गले फलो का सेवन न करें।
लू (तापघात) होने पर प्राथमिक उपचार
यदि कोई व्यक्ति लू से पीडित है तो प्राथमिक उपचार मे रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपडे ढीले कर लिटाये एवं हवा करे रोगी को होश में आने की दशा में उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना, निम्बू पानी आदि ठंडे पेय पदार्थ पिलाये, तापमान नियंत्रण हेतु कच्चे प्याज का रस एवं जौ के आटे से मला जा सकता है। संभव हो तो ठंडे पानी से स्नान कराये या मरीज के शरीर पर ठंडे पानी की पट्टीया रखे, गंभीर स्थिति में मरीज को निकट के स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाए।
लू की वजह से सूर्य दाह हो सकता है। त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, बुखार आदि इसके लक्षण हैं। इस प्रकार के लक्षणों से प्रभावित व्यक्ति को बार-बार नहलाएँ। यदि फफोले निकल आएं तो स्टरलाइज/ड्रेसिंग करें व चिकित्सक का परामर्श लें।
यदि ताप के कारण शारीरिक ऐंठन हो और पैरों, पेट की मांसपेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफदेह ऐंठन व अत्यधिक पसीना आने पर प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जाएं। ऐंठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाएं तथा धीरे-धीरे सहलाएं। प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं। यदि उकबाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।
अधिक थकावट एवं शारीरिक खिंचाव होने एवं अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड़ जाना, मूर्छित हो जाना व उल्टी आने पर प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटाकर शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाएं। प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं। यदि उबकाई आ रही हो तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा प्रभावित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।
लू की वजह से ताप-दाह हो सकता है। अत्यधिक बुखार, अत्यधिक गर्म एवं सूखी त्वचा, तेज नब्ज, बेहोशी आदि इसके लक्षण हैं। इस प्रकार के लक्षणों से प्रभावित व्यक्ति के लिये यह अत्यंत चिंताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति है। तत्काल 108 एम्बूलेंस को बुलाएँ तथा प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराएं। एम्बूलेंस आने तक उन्हें किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर ले जाएं। कपड़ों को ढीला कर आरामदेह स्थिति में लेटाएं। उनके शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीने को नहीं दें एवं आवश्यकतानुसार सीपीआर शुरू करें।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर