असली गुरु वह जो क्षण भर में परमात्मा के साक्षात्कार करा दे : स्वामी दयानंद सरस्वती

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असली गुरु वह जो क्षण भर में परमात्मा के साक्षात्कार करा दे : स्वामी दयानंद सरस्वती


पानीपत, 30 मार्च (हि.स.)। पानीपत में चल रहे संत समागम कार्यक्रम में बोलते हुए स्वामी दयानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि कई लोग गुरू से इसलिए जुड़ते हैं कि गुरू का संपर्क बड़े अधिकारियों और नेताओं से है जिससे प्रभावित होकर वह गुरू से जुड़ते हैं ताकि वह भी प्रभावशाली बन जाए, लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। और कभी भी गुरू से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। कभी गुरू का अपमान नहीं करना चाहिए।

गुरू का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो क्रोध से रहित हो, जो मोह,अहंकार से रहित हो वहीं संत है और वहीं गुरू बनने लायक है। गुरू कृपालु होते हैं। गुरू का अपमान शिव स्वीकार नहीं करते भले ही गुरू इसे क्षमा कर दे। उन्होंने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि पूर्ण संत वही है जो अपने शिष्य को क्षण भर में परमात्म के साक्षात्कार करा दे । क्योंकि वे खुद परमात्मा का स्वरूप होते है, ऐसे पूर्ण संत ही समस्त संसार का भला करने वाले होते है। वे ऐसे फलदार वृक्ष होते है जो मीठा फल देने के लिए हमेशा नीचे की और ही झुके होते है।

रविवार को वह संत द्वारा हरि मन्दिर, पानीपत के प्रांगण में नव विक्रमी सम्वत 2082 के उपलक्ष्य आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर प्रधान रमेश चुघ ने बताया कि पूरे के दौरान अटूट लंगर का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिदिन 1000 से 1500 श्रद्धालुओं ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर रामदेव, दर्शन लाल रामदेव, पवन चुघ, गोल्डी बांगा, ओमी चुघ, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा

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