झज्जर:अक्षय तृतीया पर बाल विवाह पर जिला प्रशासन की रहेगी निगरानी

झज्जर, 8 अप्रैल (हि.स.)। बाल विवाह की सामाजिक बुराई से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष रणनीति बनाई है। आगामी अक्षय तृतीया 30 अप्रैल के मौके पर बाल विवाह न होने देने के लिए झज्जर जिला प्रशासन विशेष निगरानी रखेगा। इस संबंध में मंगलवार को अतिरिक्त उपायुक्त सलोनी शर्मा ने संबंधित विभागों के अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक ली।
बैठक के बाद एडीसी सलोनी शर्मा ने कहा कि उपायुक्त प्रदीप दहिया के दिशा-निर्देशन में कार्य करते हुए अक्षय तृतीया जैसे पारंपरिक विवाह अवसर पर संभावित बाल विवाह की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मीटिंग में मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों के प्रतिनिधियों भी शामिल हुए व सभी ने एक स्वर में बाल विवाह के मामलों को रोकने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करने व हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त ने स्पष्ट संदेश दिया कि झज्जर को 'बाल विवाह मुक्त जिला' बनाना है और इसके लिए प्रशासन, धार्मिक संस्थाएं, समाजसेवी संगठन और आम नागरिक सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेलने जैसा है। इसे जड़ से खत्म करना हमारा सामाजिक दायित्व है।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि धार्मिक स्थलों और विवाह स्थलों के प्रबंधकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि कहीं भी नाबालिग बच्चों का विवाह न होने पाए। उन्होंने सभी से अपील की कि अगर कहीं बाल विवाह की सूचना मिले, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें। यह सामाजिक समस्या सामूहिक प्रयासों से ही जड़ से खत्म होगी व हमें सफलता मिलेगी।
बैठक में संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी करमिंदर कौर ने पिछले एक वर्ष में किए गए जागरूकता अभियानों और प्राप्त शिकायतों की जानकारी दी। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग, परियोजना अधिकारी, जामा मस्जिद झज्जर के इमाम, प्रसाद गिरी मंदिर के पुजारी, गुरुद्वारे के प्रतिनिधि, बैंक्वेट हॉल और वाटिकाओं के संचालक तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / शील भारद्वाज