हिसार : तिरंगा यात्रा निकालकर गमगीन माहौल में किया गया शहीद अजय का अंतिम संस्कार

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हिसार : तिरंगा यात्रा निकालकर गमगीन माहौल में किया गया शहीद अजय का अंतिम संस्कार


हिसार : तिरंगा यात्रा निकालकर गमगीन माहौल में किया गया शहीद अजय का अंतिम संस्कार


हिसार : तिरंगा यात्रा निकालकर गमगीन माहौल में किया गया शहीद अजय का अंतिम संस्कार


हिसार : तिरंगा यात्रा निकालकर गमगीन माहौल में किया गया शहीद अजय का अंतिम संस्कार


एक साल की बेटी के साथ शमशान घाट पहुंची पत्नी, महिलाओं ने संभाला

दुकानदारों ने दुकानें बंद करके व किसानों ने फसल काटना छोड़ पार्थिव शरीर पर

फूल बरसाए

हिसार,

26 मार्च (हि.स.)। जिले के गांव संडोल निवासी शहीद जवान अजय का पूरे राजकीय सम्मान के साथ बुधवार काे अंतिम

विदाई दी गई। जब उनके चचेरे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी तो गांव का पूरा माहौल

गमगीन हो गया। शहीद की पत्नी भी अपनी एक साल की बेटी के साथ शमशान घाट पहुंची। उन्हें

गांव की महिलाओं ने संभाला। जवान के अंतिम संस्कार के वक्त हर ग्रामीण की आंखे नम देखी

गई।

अग्रोहा खंड के गांव संडोल निवासी लगभग 32 वर्षीय जवान अजय गत 23 मार्च को

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में शहीद हो गए थे। ग्रामीणों के मुताबिक जवान की दिमाग

की नस फट गई थी लेकिन अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अजय लगभग सात साल पहले

बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) में भर्ती हुए थे। अजय दो बहनों के इकलौते भाई थे।

शहीद अजय पिछले साल दिसंबर महीने में जानकार की शादी के लिए छुट्‌टी आए थे। इस दौरान

वह पत्नी को भी अपने साथ ले गए थे।

अजय रक्षा मंत्रालय के अधीन बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन में मार्च 2019 में भर्ती

हुए थे। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन दुर्गम इलाकों में सड़कें बनाने सहित अन्य काम करता

है। अजय इन दिनों पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में परियोजना स्वास्तिक के तहत राष्ट्रीय

राजमार्ग की मरम्मत का काम कर रहे थे और 23 मार्च को काम करते वक्त वह शहीद हो गए।

पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक हेलिकॉप्टर में उनका पार्थिव शरीर लाया गया। इसके बाद जवान

दिल्ली से एंबुलेंस में पार्थिव शरीर को लेकर मंगलवार शाम हिसार पहुंचे लेकिन शाम होने

की वजह से उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और पार्थिव शरीर को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज

की मॉर्च्युरी में रखवाया गया।

बुधवार सुबह सेना के खुले वाहन में जवान के पार्थिव शरीर को रखकर लंबे काफिले

के साथ तिरंगा यात्रा निकालते हुए घर तक लाया गया। ये सफर सात किलोमीटर का था, जिसे

तय करने में दो घंटे लग गए। इस दौरान रास्ते में दुकानदारों ने दुकानें बंद कर और किसानों

ने फसल काटना छोड़ शहीद के पार्थिव शरीर पर फूल बरसाए। परिजनों के दर्शनों के बाद शहीद

को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। अजय के पिता हरपाल और मां रोशनी गांव में

ही रहते हैं। पिता खेतीबाड़ी करते हैं। अजय सिलीगुड़ी में पत्नी सुशीला और बेटी के साथ

क्वार्टर में ही रह रहा था।

एक ही परिवार के तीन जवान हुए शहीद

गांव संडोल की आबादी करीब 1800 है। यहां के युवाओं में देश सेवा का जज्बा और

जुनून है। सरपंच सुरजीत मिठारवाल के अनुसार गांव के करीब 40 फौजी देश की सेवा कर रहे

हैं। उनके गांव के सबसे पहले शहीद कीर्ति चक्र से सम्मानित श्रवण हुए हैं। दूसरे पर

सोमवीर और अब तीसरे अजय हुए हैं, जो कि एक ही परिवार के हैं। तीनों वीरों के बलिदान

पर पूरे गांव सहित क्षेत्र के लोगों को गर्व है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

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