पीएम विश्वकर्मा योजना से कारीगरों व शिल्पकारों के हुनर को मिल रही नई पहचान

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कैथल, 30 मार्च (हि.स.)। जिला उपायुक्त प्रीति ने कहा कि शिल्पकार व कारीगर समाज के नवनिर्माण में अपना बहुमूल्य सहयोग देते हैं। शिल्पकारों व कारीगरों के हुनर को सम्मान देते हुए केंद्र सरकार की ओर से पीएम विश्वकर्मा योजना चलाई जा रही है, जिससे उनके हुनर को पहचान मिल रही है। डीसी ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना भारत की पारंपरिक कला और शिल्पकला को जीवित रखने और देश के कारीगरों और शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में सहायक है। पीएम विश्वकर्मा योजना का मुख्य बिंदु कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। यह योजना पूरे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करती है।

उन्होंने बताया कि योजना के तहत 18 विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें नाव बनाना, शस्त्राकार, लुहार, हथौड़ा व लोहे के औजार बनाना, ताला बनाना, सुनार, कुंभकार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, सुथार, चटाई बनाना, गुडिया व खिलौने बनाना, बारबर, धोबी, दर्जी और मछली पकडऩे के लिए जाल बनाने का काम आदि शामिल है। उन्होंने योजना के पात्र सभी कारीगरों का आह्वान किया कि वे तुरंत इस योजना को लेकर अपना रजिस्ट्रेशन करें और लाभ उठाएं। योजना के तहत आवेदन फार्म को गांव के सरपंच तथा शहरी स्थानीय निकाय के पार्षद द्वारा सत्यापित किया जाएगा कि आवेदनकर्ता द्वारा दर्शाया गया कारीगरी का कार्य वह करता है या नहीं।

हिन्दुस्थान समाचार / मनोज वर्मा

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