सोने की अंगूठी दोषपूर्ण होने की बात कहकर उतरवाई, चार जालसाज पकड़े

WhatsApp Channel Join Now
सोने की अंगूठी दोषपूर्ण होने की बात कहकर उतरवाई, चार जालसाज पकड़े


सोने की अंगूठी दोषपूर्ण होने की बात कहकर उतरवाई, चार जालसाज पकड़े


नई दिल्ली, 26 मार्च (हि.स.)। खुद को हरिद्वार अखाड़े के बड़े साधु और वेदों का अच्छा जानकार बताकर एक युवक से उसकी सोने की अंगूठी में दोष होने की बात कहकर अंगूठी हड़पने वाले नाथ गैंग के चार जालसाजों को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपिताें की पहचान रिंकू नाथ, साहिल नाथ, रॉकी नाथ और विक्की नाथ के रूप में हुई है। इनके कब्जे से पीड़ित की सोनू की अंगूठी बरामद हुई, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया।

आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि बीते रविवार को आईजीआई पुलिस को एक पीसीआर कॉल मिली थी। पुलिस कॉलर के पास पहुंची। मध्य प्रदेश के रहने वाले गगन जैन ने बताया कि वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह दिल्ली में तीन दिवसीय एआईएमसीएमएम सम्मेलन में भाग लेने आया था। वह होटल लेमन ट्री, एरोसिटी में ठहरा था। करीब साढ़े 11 बजे जब वह होटल से चेकआउट करके गेट नंबर पांच की तरफ से निकला। साधुओं की वेशभूषा में चार लोग उसके पास आए, जिनके शरीर पर राख लगी थी और पैरों में घंटियां बंधी थीं। उन्होंने खुद को हरिद्वार अखाड़े का बड़ा पुजारी और वेदों का जानकार बताया। उन्होंने उसके माथे पर तिलक लगाने की कोशिश की, मना करने पर उसे कहा कि अगर वह गंगा मैया में विश्वास करता है या फिर वह गंगा मैया और महादेव में विश्वास करता है तो तिलक लगवाना होगा। बाद में उनमें से एक ने दो रुपये मांगे। जिस पर उसने उसे 50 रुपये दिए। इसके बाद उन चारों ने उससे कहा कि बच्चा तेरी पहनी अंगूठी खराब है और वह उन्हें दे दे। इसके पहनने से तेरे काम अटक रहे हैं, इसमें दोष है। घबराकर उसने अंगूठी उतारकर दे दी। साधुओं ने कहा कि मुड़कर पीछे देखना नहीं। नहीं तो गलत हो जाएगा तेरे साथ। उसने ऐसा ही किया। पुलिस ने पीड़ित के बयान पर मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस टीम ने होटल के बाहर और आसपास लगे दर्जनों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। उनके रूट का पता कर चारों को गिरफ्तार किया। पूछताछ करने पर आरोपिताें से पता चला कि चारों रिश्तेदार हैं और सपेरा समुदाय से हैं। हरिद्वार, उप्र में, उन्होंने भक्तों की एक बड़ी भीड़ देखी। आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्सुक कई भक्तों ने स्वेच्छा से संतों को पैसे दिए। यह मानते हुए कि इससे उन्हें सौभाग्य मिलेगा। इससे प्रेरित होकर आरोपिताें ने पुजारी की पोशाक पहनकर लोगों से की स्थिति का फायदा उठाने की साजिश रची।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी

Share this story

News Hub