फर्जी जमानतदारों के सहारे जमानत लेने वाले साइबर अपराधी की जमानत रद्द, पुलिस जांच में सामने आया फ्रॉड

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वाराणसी। साइबर अपराध में संलिप्त अभियुक्त अंकित भारद्वाज की जमानत फर्जी जमानतदारों और कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल के चलते माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई है। अदालत को गुमराह कर जमानत लेने की इस कोशिश का खुलासा पुलिस की गहन जांच में हुआ।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

अंकित भारद्वाज, जो कि साइबर अपराध से जुड़े मामले (मु.अ.सं. 20/2022) में आरोपी था, उसने न्यायालय से 75,000 रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र और दो जमानतदारों के माध्यम से जमानत प्राप्त की थी। उसने इकबाल और अब्दुल इस्लाम नामक दो व्यक्तियों को जमानतदार के रूप में प्रस्तुत कराया, लेकिन पुलिस जांच में दोनों के नाम-पते फर्जी पाए गए।

इसके अलावा, जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि अभियुक्त सुहेल नामक व्यक्ति के सहयोग से आधार कार्ड में कूटरचना कर फर्जी जमानतदार तैयार किए थे। इसके बदले में अंकित ने सुहेल और अन्य जमानतदारों को 25-25 हजार रुपये देने की बात कही थी।

थाना लोहता में 24 अगस्त 2024 को नया मुकदमा (मु.अ.सं. 155/2024) दर्ज किया गया, जिसमें मुख्य अभियुक्त अंकित भारद्वाज के अलावा अली हुसैन, सकील अहमद और सुहेल को भी आरोपी बनाया गया।

इसके बाद, अली हुसैन और सकील अहमद को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में वाराणसी जेल भेज दिया गया। वहीं, अंकित भारद्वाज की जमानत निरस्त करने के लिए न्यायालय में आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। पुलिस की पैरवी और ठोस साक्ष्यों के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने अंकित भारद्वाज की जमानत निरस्त कर दी।
 

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