शुष्क प्रतिरोधी फसल, आच्छादन सिंचाई व जल संरक्षण विधि के विकास पर ध्यान केंद्रित करें वैज्ञानिक : कुलपति

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शुष्क प्रतिरोधी फसल, आच्छादन सिंचाई व जल संरक्षण विधि के विकास पर ध्यान केंद्रित करें वैज्ञानिक : कुलपति


कानपुर 22मार्च (हि. स.)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर एव वर्ल्ड वाइड फंड (डब्लूडब्लूएफ) के संयुक्त तत्वाधान में विश्व जल दिवस के अवसर पर टिकाऊ पारिस्थिकी तंत्र एवं ग्रहीय स्वास्थ्य के लिए जल का महत्व विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह द्वारा जल भरो कार्यक्रम से शुरुआत की। विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं ने इस अवसर पर जल गीत गाकर जल संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सी0एल0 मौर्य, वर्ल्ड वाइड फंड के विषय विशेषज्ञ मिस्टर राजेश कुमार, सीनियर कोआर्डिनेटर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एच.पी. चौधरी, आईआईटी कानपुर के प्रो0 मनोज कुमार तिवारी, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता गण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण एवं लगभग 379 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

कुलपति डॉ. आनंद सिंह ने कहा कि 140 करोड़ भारतीय जनता की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों, विशेषकर जल के बेहतर उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, वैज्ञानिकों को शुष्क प्रतिरोधी फसल किस्मों, आच्छादन सिंचाई तथा जल संरक्षण विधियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। छात्र-छात्राओं को देश का भविष्य बताते हुए उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में कृषि शिक्षा की ओर युवाओं का रुझान बढ़ेगा।

कृषि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सी.एल. मौर्य ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जल गुणवत्ता, जल की कमी, भूजल स्तर में गिरावट और मृदा विक्षोभ जैसी समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि में जल संरक्षण विधियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई, जिससे किसान अपनी खेती में उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने में सफल हो सकें।

वर्ल्ड वाइड फंड के विशेषज्ञ ने जल संरक्षण में नवीनतम तकनीकी परिवर्तनों से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया, जबकि आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने दैनिक जीवन में जल संरक्षण के व्यावहारिक उपायों साथ-साथ जल मूल्यों पर चर्चा की।

डॉ. एस.पी. चौधरी ने फ़सलों के लिए पानी के बेहतर उपयोग किए जाने पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि नहरों के किनारे जहां सीपेज होता है वहां पर अधिक पानी चाहने वाली फसलों के साथ साथ वृक्षों को लगाना उचित रहता है। इससे जमीन ऊसर होने से बच जाती है। डॉ. सर्वेश ने जल प्रबन्धन में भारतीय संस्कृति की भूमिका पर चर्चा करते हुए अवगत कराया कि भारतीय संस्कृति को अपनाने से करोड़ों लीटर पानी की बचत कर सकते हैं। मिस सिवानी कोष्टा ने समन्वित जल प्रबन्धन विषय पर परिचर्चा की उन्होंने गवर्नमेंट संस्थाओं के बारे में है विस्तार से बताया जिनके द्वारा जल प्रबन्धन के कार्य किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सर्वेश कुमार द्वारा किया गया, जबकि अंत में हर्षित गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम में डॉ. कौशल कुमार, डॉ. बी.के. त्रिपाठी, डॉ. यू.एन. शुक्ला, डॉ. बलबीर सिंह, डा अनुभव डॉ॰ रवि दीक्षित, डॉ॰ पारस कुशवाहा, डॉ. सीमा सोनकर, डॉ. विजय यादव भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

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