रचनात्मकता लेखन का प्रथम दायित्व : प्रो. पूनम टंडन

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रचनात्मकता लेखन का प्रथम दायित्व : प्रो. पूनम टंडन


रचनात्मकता लेखन का प्रथम दायित्व : प्रो. पूनम टंडन


गोरखपुर, 22 मार्च (हि.स.)। रचनात्मकता से ही लेखन को परिपक्वता मिलती है और पाठकों की रुचि भी आकर्षित होती है। इसलिए लेखक की ज़िम्मेदारी है कि वह सदैव रचनाशील बना रहे। यह बातें स्थानीय एक होटल में आयोजित लेखिका डॉ. कनक मिश्र के कहानी संग्रह 'डेढ़ पाव ज़िन्दगी, पुल भर मन' के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहीं। उन्होंने डॉ. कनक को शुभकामनाएं देते हुए ऐसे रचना शिल्पी प्रयास को सतत जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि प्रो. अनिल राय ने कहा कि डॉ कनक का कहानी संग्रह संवेदनशील ही नहीं अपितु रूढ़ियों को तोड़ने वाला है। उन्होंने उधार की संवेदनाएं नहीं ली हैं और अपनी मौलिकता के रत्न से पुस्तक को समृद्ध किया है। विशिष्ट अतिथि प्रो. चितरंजन मिश्र ने कहा कि प्रेम की भाषा मौन होती है। साहित्य से प्रेम होना ही साहित्य को समृद्धि देता है। कहानी लेखन की विधा जटिल है और उसे सरल शब्दों में व्यक्त करना दुरूह है। इसलिए डॉ. कनक बधाई की पात्र हैं.।उन्होंने पुस्तक के कुछ अनूदित अंश का पाठ कर उसकी लघु समीक्षा भी की।

अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए प्रो. अनंत मिश्र ने कहा कि साहित्य की खेती बारी शब्द और मन के माध्यम से ही होती है। बड़ा लेखक वह नहीं जो यथार्थ का चित्रण करता है, बल्कि बड़ा लेखक वह है जो बड़े सपने दिखाता है। ज़िन्दगी तो डेढ़ पाव की ही होती है और मन को पुल भर ही होना चाहिए, ताकि जुड़ाव हो सके।

कार्यक्रम का संचालन शुभेन्द्र सत्यदेव ने आभार ज्ञापन आनंद पांडेय ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

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