इंदौरः आर्मी अफसर की गर्लफ्रेंड से सामूहिक दुष्कर्म के पांच दोषियों को आजीवन कारावास

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इंदौरः आर्मी अफसर की गर्लफ्रेंड से सामूहिक दुष्कर्म के पांच दोषियों को आजीवन कारावास


- महू की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया फैसला, छह महीने पहले हुई थी घटना

इंदौर, 24 मार्च (हि.स.)। इंदौर जिले की महू की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सोमवार को करीब छह महीने जाम गेट पर हुई सामूहिक दुष्कर्म और आर्मी के ट्रेनी ऑफिसरों से मारपीट के मामले में पांच आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रवि शंकर दोहने ने अपने फैसले में कहा है कि छावनी एरिया में देश के रक्षक और महिला के साथ मारपीट और गैंगरेप हुआ। ऐसे अपराधियों का अपराध क्षम्य नहीं। अभियुक्त बाहर रहने लायक नहीं हैं।

विशेष लोक अभियोजक संध्या उईके ने बताया कि आरोपियों के दोष सिद्ध करने के लिए 32 लोगों की गवाही और डीएनए रिपोर्ट अहम आधार रहे। मामले में छह आरोपी थे, लेकिन एक आरोपी नाबालिग है। उसका बाल अदालत में केस चल रहा है।

गौरतलब है कि 10 सितंबर 2024 की रात को महू के बड़गोंदा थाना क्षेत्र के जाम गेट के पास आर्मी फायरिंग रेंज में दो ट्रेनी ऑफिसर अपनी महिला मित्रों के साथ कार से घूमने आए थे। रात करीब दो बजे चारों वहां बैठकर बातचीत कर रहे थे। करीब 2.30 बजे 7 से 8 बदमाशों ने दोनों आर्मी अफसरों पर लाठी और डंडों से हमला कर दिया। उनके साथ मारपीट की। एक ऑफिसर ने बदमाशों से पूछा कि उन्हें क्या चाहिए। जिस पर बदमाशों ने 10 लाख रुपये कैश की डिमांड की। पैसा नहीं लाने पर जान से मारने की धमकी दी।

बदमाशों ने एक ऑफिसर और एक महिला को बंधक बनाकर अलग बैठा दिया, जबकि एक ऑफिसर और एक महिला को रुपये लाने का कहकर छोड़ दिया। एक घंटे इंतजार के बाद जब कपल पैसे लेकर नहीं लौटा तो बदमाश बंधक बनाकर रखे आर्मी अफसर की गर्लफ्रेंड को उससे दूर ले गए। पहले उसके साथ मारपीट की, फिर गलत काम किया। फिर उन्हें मौके पर छोड़कर फरार हो गए।

घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने इसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का निर्णय लिया। पुलिस ने एक महीने के भीतर ही 12 अक्टूबर को जांच कर कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद 26 अक्टूबर से अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश करने शुरू किए। करीब छह महीने तक चली सुनवाई के बाद चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रविशंकर दोहरे ने पांच आरोपियों को सजा सुनाई।

इन्हें हुई सजा

1. अनिल बारोर (27) निवासी गौड़कुआ- मुख्य आरोपी2. पवन बंसूनिया (23) निवासी गौड़कुआ3. रोहित गीरवाल (23) निवासी नंदगांव4. रीतेश भावर (25) निवासी बिलामी4. सचिन मकवाना (25) निवासी चैनपुर

पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों की पहचान करने की चुनौती थी। जामगेट पर न तो कोई सीसीटीवी लगे थे और न ही रात के वक्त किसी ने भी वारदात होते नहीं देखी थी। ऐसे में पुलिस ने बड़गोंदा थाने में पिछले 10 सालों में पदस्थ टीआई से हिस्ट्री शीटर्स की फोटो मंगाई। इनमें से एक फोटो मुख्य आरोपी अनिल की थी। ये फोटो आर्मी के ट्रेनी अफसर को दिखाई गई। उसने तत्काल अनिल को पहचान लिया। इसके बाद गैंगरेप की पीड़िता ने भी इसकी पुष्टि की। पुलिस ने 12 सितंबर को अनिल को मानपुर से गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ के आधार पर उसके गांव के रहने वाले पवन को भी गिरफ्तार किया। अनिल से पूछताछ में पता चला कि गैंगरेप में रितेश भी शामिल था। कट्‌टा दिखाकर उसी ने धमकाया था। बाद में पुलिस ने रितेश और सबसे आखिरी में संदीप, रोहित सिंह गीरवाल और सचिन मकवाना को एक सरपंच की मदद से पकड़ा।

बड़गोंदा पुलिस ने गैंगरेप में शामिल अनिल व रितेश के वारदात के समय पहने गए कपड़े, घटनास्थल पर मिले सिर के बाल, ब्लड आदि डीएनए जांच के लिए भेजे थे। पीड़ित युवती के सैम्पल भी भेजे गए थे। चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया है कि डीएनए से पुष्टि हुई कि आरोपी अनिल और रितेश ने ही पीड़िता के साथ रेप किया था। हालांकि, पीड़िता का लूटा गया आधार कार्ड आरोपियों के पास से जब्त नहीं हुआ। पुलिस ने केस में सबूत मिटाने की धारा 238 बढ़ा दी। आरोपी रितेश के पास से घटना में इस्तेमाल देसी पिस्टल और जिंदा कारतूस जब्त किए गए।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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