पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह का भव्य आयोजन

जयपुर, 27 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. मनीषा कोठेकर ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का शासन न्यायप्रियता और लोककल्याणकारी नीतियों के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं से परे भी अनेक तीर्थस्थलों, मंदिरों, घाटों, कुओं और बावड़ियों का निर्माण कराया तथा अन्न क्षेत्र का संचालन किया। उनके महिला सशक्तिकरण के प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं और भारतीय समाज में उनकी अमिट छाप है।
वे गुरुवार को यूनिवर्सिटी महारानी कॉलेज में मरुधर नारी सशक्तिकरण संगठन और भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। यह संगोष्ठी देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी।
डॉ. कोठेकर ने बताया कि पति के निधन के बाद जब अहिल्याबाई ने शासन संभाला, तब राज्य की स्थिति संकटपूर्ण थी। चोरों और डाकुओं का आतंक था, कानून-व्यवस्था बिगड़ी हुई थी, और आर्थिक चुनौतियाँ भी थीं। उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ शासन की बागडोर संभाली। उन्होंने अपनी दूरदर्शिता से भीलों के आंतक से प्रजा को मुक्त कराया और भीलों की आजीविका के लिए जमीनें प्रदान की। उन्हें राहगीरों की रक्षा का काम सौंपा और पथकर वसूलने की छूट दी। यही पथकर भील कौड़ी कहलाया।
उन्होंने संपूर्ण राज्य को शिव को समर्पित कर कुशल प्रशासिका के रूप में कार्य किया। संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद उन्होंने सुशासन की मिसाल कायम की और पूरे भारत में एक न्यायप्रिय, दानशील और कुशल प्रशासिका के रूप में सम्मान प्राप्त किया।
कार्यक्रम में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को नमन करते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों पर उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है, क्योंकि उन्होंने लोकहित, राष्ट्रहित और समाजहित के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। वे विद्वत्ता, साहस और प्रशासनिक कौशल की प्रतीक थीं। उनके द्वारा नारी शक्ति, सशक्तिकरण और प्रशासनिक क्षेत्र में किए गए कार्य हमेशा प्रेरणादायी रहेंगे।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, अहमदाबाद की कुलपति डॉ. अमी उपाध्याय ने शिक्षा और नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई न केवल एक उत्कृष्ट प्रशासक थीं, बल्कि उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और कल्याण के लिए भी अनुकरणीय कार्य किए।
इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. अर्चना कटेजा और महारानी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. पायल लोढ़ा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने छात्राओं से देवी अहिल्याबाई के मूल्यों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में मरुधर नारी सशक्तिकरण संगठन की प्रदेश सचिव पुष्पा जांगिड़ ने संगठन के कार्यों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन हुआ।
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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर