नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन को उमड़े भक्त, माता की आराधना से मिलता है विशेष फल, जानिये महात्म्य

वाराणसी। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना का विशेष महत्व है। काशी के गंगा किनारे स्थित बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मंगला आरती के साथ ही मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए, जहां श्रद्धालु मां के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
मान्यता है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से परब्रह्म की प्राप्ति होती है। देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। उनका यह स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। काशी के इस पावन स्थल पर स्थानीय भक्तों के अलावा अन्य जिलों से भी श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां लाखों भक्त मां के आशीर्वाद के लिए आते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप कठोर तपस्या का प्रतीक है। 'ब्रह्म' का अर्थ है तपस्या और 'चारिणी' का अर्थ है उसका आचरण करने वाली। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की थी, जिसके कारण उन्हें 'तपश्चारिणी' या 'ब्रह्मचारिणी' कहा गया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होता।
मंदिर के महंत राजेश्वर महाराज के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को असीम शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के इस स्वरूप की आराधना से जीवन में धैर्य और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे भक्त हर कठिनाई का सामना कर सकते हैं।