जेकेएएसीएल ने ओपी शर्मा विद्यार्थी की पुस्तक बसंत गीत तवी दा का विमोचन किया


जम्मू, 22 मार्च (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) ने केएल सैगल हॉल, जम्मू में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें ओपी शर्मा विद्यार्थी के कविता संग्रह बसंत गीत तवी दा का अनावरण किया गया। पुस्तक का औपचारिक विमोचन जम्मू के संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने किया जिसमें पूर्व डीजीपी जम्मू-कश्मीर चंद्र मोहन शर्मा और आईसीआईसीएच की महासचिव डॉ. मृणालिनी अत्रे भी मौजूद थीं। यह कार्यक्रम विश्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया जिसमें तवी नदी के पारिस्थितिक महत्व पर जोर दिया गया।
लेखकों, वन अधिकारियों और कवियों की विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए रमेश कुमार ने पारिस्थितिक चिंताओं पर साहित्यिक कृति के फोकस की सराहना की पर्यावरण को संरक्षित करने में जिम्मेदार उपभोग और सतत विकास के महत्व को रेखांकित किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने पुस्तक से छंद उद्धृत किए और काव्यात्मक विचारों को संरक्षण कार्रवाई में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया, बढ़ते प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए तवी नदी के किनारों पर देशी पौधों का उपयोग करके वनीकरण की वकालत की।
लेखक-कवि ओपी शर्मा विद्यार्थी जो अपने ट्री टॉक अभियान के लिए जाने जाते हैं ने देशी घास, मानसर और सुरिनसर झीलों, वसंत ऋतु के जंगलों के खिलने और प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों को उजागर करते हुए डोगरी और हिंदी कविताओं का पाठ किया। डॉ. मृणालिनी अत्रे ने विरासत एनजीओ पहल के तहत तवी कविता आंदोलन का पता लगाया जो कोविड-19 संकट के दौरान विरासत प्रलेखन और पारिस्थितिक संरक्षण पर केंद्रित था।
डॉ. अशोक खजूरिया ने पुस्तक के साहित्यिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व पर एक विश्लेषणात्मक शोधपत्र प्रस्तुत किया जिसमें हिंदी और डोगरी में इसकी द्विभाषी रचना और हिमनदों के पीछे हटने, वनों की कटाई और मिट्टी के कटाव पर इसके संदेशों पर प्रकाश डाला गया। चंद्र मोहन शर्मा ने भी कविता की गहराई की प्रशंसा की और प्रो. वीना गुप्ता ने डोगरी पर्यावरण साहित्य में विद्यार्थी के योगदान की सराहना की। अतिथियों का स्वागत करते हुए जेकेएएसीएल जम्मू के मंडल प्रमुख डॉ. जावेद राही ने 140 कविताओं (70 डोगरी में और 70 हिंदी में) के संग्रह के रूप में बसंत गीत तवी दा का परिचय दिया।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की थीम- वन और भोजन के अनुरूप, इस कार्यक्रम में पारंपरिक हर्बल चाय, सॉरेल स्नैक्स और मीठी तुलसी पेय भी शामिल थे जो जातीय खाद्य पदार्थों के पुनरुद्धार को बढ़ावा देते हैं। कार्यक्रम की कार्यवाही जेकेएएसीएल की डोगरी की सहायक संपादक मैडम रीता खडियाल द्वारा संचालित की गई, जिससे सभी उपस्थित लोगों के लिए एक आकर्षक और ज्ञानवर्धक सत्र सुनिश्चित हुआ
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा