हिसार: रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति हाे रही कम : डॉ. मिकेलेश

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हिसार: रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति हाे रही कम : डॉ. मिकेलेश


न्योली खुर्द स्कूल में गुजवि प्रोफेसर ने बच्चों को जैविक खाद और जल संरक्षण की जानकारी दी

हिसार, 25 मार्च (हि.स.)। न्योली खुर्द गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मंगलवार काे समग्र शिक्षा विभाग के निर्देशन में मेंटरिंग ऑफ स्कूल बाय हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से एनवायरमेंटल साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मिकेलेश मुख्य अतिथि रहे। डॉ. मिकलेश ने छठी से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को जैविक खाद और वर्षा जल संरक्षण के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि आज के समय में रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग होने से जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही है, जिससे फसल उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। जैविक खाद प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाली खाद है, जो पौधों और जंतुओं के अवशेषों के सड़ने-गलने से बनती है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक तत्वों का प्रयोग नहीं किया जाता है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद, हरी खाद सभी जैविक खाद के विभिन्न प्रकार हैं। उन्होंने बताया कि मानव आबादी को बड़े पैमाने पर पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान वर्षा जल संचयन है। यह ताजे पानी तक पहुंचने का सबसे टिकाऊ तरीका है।

इसके संचालन के लिए किसी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। यह किसी भी प्राकृतिक संसाधन को खत्म नहीं करता, इसके विपरीत, प्राकृतिक आवास के संरक्षण और सुरक्षा में मदद करता है। वर्षा जल संचयन सिंचाई, धुलाई और पीने जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल को इकट्ठा करने और संग्रहीत करने का एक अच्छा तरीका है। इस अवसर पर डॉ मिकेलेश ने विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया। इस मौके पर बच्चों में पोस्टर मेकिंग कंपीटीशन तथा क्विज व रोल प्ले आदि गतिविधियां करवाई गई। प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्तर पर विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर विद्यालय के समस्त स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

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