सृष्टि के आरम्भ से ही है सनातन : प्रो बीएल शर्मा

प्रयागराज, 25 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘महाकुम्भ : सनातन मूल्य के माध्यम से मानव जीवन में परिवर्तन’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि सनातन सृष्टि के आरम्भ से ही है और जब तक यह सृष्टि रहेगी तब तक रहेगा। मानवीय मूल्य सनातन में भरे हैं।
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प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि सनातन वह धारा है जो सार्वकालिक और सार्वत्रिक है। उन्होंने मनु द्वारा प्रतिपादित धर्म के 10 लक्षणों के विस्तार से चर्चा की। जिनमें प्रमुख रूप से उन्होंने धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय, शुचिता, इंद्रिय निग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य तथा अक्रोध की महत्ता पर बल दिया। इन 10 लक्षणों को मनुस्मृति में धर्म के मूल तत्वों के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने इसका वर्णन करते हुए कहा कि जो बुद्धि से काम ले, उसे बुद्धिमानी और जो मन की माने उसे मनमानी कहा गया है।
अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि मानव मूल्य जिन्हें हम भारतीय ज्ञान परम्परा के रूप में जानते हैं, उसे अपने विद्यार्थियों तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अनुरोध किया कि इस विषय को स्नातक पाठ्यक्रम में अवश्य शामिल करें।
कुलपति ने कहा कि महाकुम्भ से जो शिक्षा ग्रहण की है, उसमें प्रबंध अध्ययन पर शोध करने की आवश्यकता है। एक निश्चित भूभाग पर इस तरह करोड़ों लोगों की उपस्थिति अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती। महाकुम्भ से हमें शोध के कई आयाम मिले हैं, जिन पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय ने कुंभ अध्ययन पर प्रमाण पत्र कार्यक्रम के माध्यम से महाकुम्भ को जानने एवं समझने का अवसर प्रदान किया है। जिसमें लोग स्वेच्छा से प्रवेश ले रहे हैं।
जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि सनातन की रक्षा के लिए दया, करुणा, विश्व बंधुत्व तथा सतोगुण का विकास जरूरी है। भारतीय संस्कृति की विश्व में सबसे ज्यादा मांग है। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ एक सांस्कृतिक प्रस्तावना है। प्रदेश सरकार ने इसको पर्यावरण तथा जीडीपी से जोड़कर उत्कृष्ट कार्य किया है।
इलाहाबाद संग्रहालय प्रयागराज के निदेशक राजेश प्रसाद, अंबेडकर विवि के पूर्व कुलपति प्रोफेसर शिव कुमार द्विवेदी ने अपना विचार व्यक्त किया। मुक्त विवि के पीआरओ डॉ. प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि अतिथियों का स्वागत डॉ. त्रिविक्रम तिवारी, संचालन डॉ. गौरव संकल्प एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जी के द्विवेदी ने किया। दो दिन चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 5 ऑफलाइन और 5 ऑनलाइन कुल 10 तकनीकी सत्रों का संचालन किया गया। इस अवसर पर 268 शोध पत्रों से सुसज्जित पत्रिका, अन्वेषिका तथा लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण पुस्तक का विमोचन अतिथियों ने किया। इसके उपरांत शाम काे परिसर में भजन संध्या का आयोजन किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र