जीवन भर ये खारे आंसू ही बेचे हैं, सपन मोल लेने को...

सुरेश चंद्र शर्मा को सुरेन्द्र मोहन मिश्र स्मृति सम्मान से किया गया सम्मानित
मुरादाबाद, 23 मार्च (हि.स.)। प्रख्यात साहित्यकार, इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की पुण्यतिथि पर साहित्यिक मुरादाबाद और विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से रविवार को सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह में अमरोहा के वरिष्ठ इतिहासकार वर्तमान में गाजियाबाद निवासी सुरेश चंद्र शर्मा को पं. सुरेन्द्र मोहन मिश्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
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कार्यक्रम में स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की रचनाओं का पाठ भी हुआ। उनके सुपुत्र अतुल मिश्र ने उनके गीत का सस्वर पाठ करते हुए कहा...जीवन भर ये खारे आंसू ही बेचे हैं, सपन मोल लेने को। कनक कन गला बेचे, मिट्टी के, पत्थर के रतन मोल लेने को ।नये पथ बनाने में सुनो, वंशधर मेरे/ कुटिया का तृण-तृण बिक जाये, तो क्षमा करना।
रविवार को नवीननगर स्थित मानसरोवर कन्या इंटर कॉलेज में मनोज वर्मा मनु द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ समारोह के प्रथम चरण में साहित्यकारों ने स्मृतिशेष पं. सुरेन्द्र मोहन मिश्र तथा सम्मानित इतिहासकार सुरेश चंद्र शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। साहित्यिक मुरादाबाद के संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि 22 मई 1932 को चंदौसी में जन्मे पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र ने न केवल साहित्यकार के रूप में ख्याति प्राप्त की बल्कि इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता के रूप में भी विख्यात हुए। उन्होंने अतीत में दबे साहित्य को खोज कर उजागर किया। आपकी मधुगान, कल्पना कामिनी, कविता नियोजन, कवयित्री सम्मेलन, बदायूं के रणबांकुरे राजपूत, इतिहास के झरोखे से संभल,शहीद मोती सिंह, पवित्र पंवासा, मुरादाबाद जनपद का स्वतन्त्रता संग्राम, मुरादाबाद और अमरोहा के स्वतन्त्रता सेनानी ,मीरापुर के नवोपलब्ध कवि तथा आजादी से पहले की दुर्लभ हास्य कविताएं का प्रकाशन हो चुका है तथा अनेक पुस्तकें अप्रकाशित हैं। आपका देहावसान 22 मार्च 2008 को हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल