भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी: आनंदीबेन पटेल

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भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी: आनंदीबेन पटेल


राज्यपाल ने सी0ई0सी0-यू0जी0सी0 शैक्षिक फिल्म महोत्सव का किया उद्घाटन

फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन का प्रभावी माध्यम

लखनऊ, 20 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुरूवार को शैक्षिक संचार संकाय (सी0ई0सी0), नई दिल्ली के तत्वाधान में लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय 26वें सी0ई0सी0-यू0जी0सी0 शैक्षिक फिल्म महोत्सव का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। शैक्षणिक फिल्में बनाना हमारी युवा पीढ़ी के ज्ञानवर्द्धन के लिए जरूरी है। शैक्षणिक फिल्में हमारी सोच, विचार, संस्कृति और परंपरा के बारे में जानने का एक उत्कृष्ट माध्यम हैं।

राज्यपाल ने कहा कि शैक्षणिक फिल्म को केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि ज्ञान, जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन का प्रभावी माध्यम भी है। उन्होंने फिल्म फेस्टिवल के मंच की सराहना की और कहा कि इसके माध्यम से समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया जाता है, जो युवाओं के बीच नए दृष्टिकोण को जन्म देते हैं।

राज्यपाल ने डिजिटल तकनीक और शैक्षिक वीडियो के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्तमान युग में इंटरनेट विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन चुका है, जिससे उनकी शिक्षा अधिक इंटरएक्टिव, सुलभ और प्रभावी बन रही है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सही मार्गदर्शन और तकनीकी उपकरणों के उपयोग से विद्यार्थियों की समझ और ज्ञान गहरी होती है।

राज्यपाल ने कहा कि भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजिटल तकनीक को अपनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे परिवेश का निर्माण करना चाहिए जो युवाओं को अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त करने और अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करे।

राज्यपाल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) की महत्ता की चर्चा की और बताया कि भारत सरकार के बजट में ए.आई. आधारित शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने ‘ज्ञान भारतम मिशन’ का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके माध्यम से एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को डिजिटल फॉर्म में बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में राज्यपाल ने कहा कि यह नीति सांस्कृतिक और मातृभाषा में शिक्षा देने का मार्ग प्रशस्त करती है और डिजिटल शिक्षा को मान्यता देती है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि देश को अमृत काल में विश्व गुरु बनाने का लक्ष्य केवल तब ही पूरा किया जा सकता है जब हम वर्तमान तकनीकी और प्रौद्योगिकी का सही तरीके से उपयोग करेंगे।

राज्यपाल ने युवाओं को तकनीक के प्रति अपनी जागरूकता बढ़ाने और शैक्षिक सामग्री को डिजिटल मीडिया में समाहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मल्टीमीडिया और आईसीटी उपकरणों का उपयोग छात्रों को अपने अध्ययन के तरीकों को चुनने में सक्षम बनाता है, जिससे शिक्षा का स्तर और अधिक ऊंचा हो सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि हमारी समृद्ध विरासत और संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। देश अहिल्याबाई का जन्म शताब्दी मना रहा है, ऐसी महान विभूतियों के जीवन और उनके योगदान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए शैक्षिक फिल्मों का निर्माण आवश्यक है। एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस मनाए जा रहे हैं, जिससे राज्यों के सांस्कृतिक, खानपान, संगीत, कला और अन्य पहलुओं को समझने का अवसर मिलता है। यह पहल देश में एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर डिजिटल शिक्षा की उपयोगिता पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गयी तथा महोत्सव को सी0ई0सी0 के निदेशक प्रोफेसर जी0बी0 नड्डा एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने भी संबोधित किया।

विदित है कि शैक्षिक फिल्म महोत्सव में पर्यावरण विकास, मानवाधिकार और स्वच्छ भारत जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित 18 चुनिंदा फिल्में दिखाई जाएगी। यह फेस्टिवल 22 मार्च तक चलेगा।

इस अवसर पर सीईसी के निदेशक प्रोफेसर जी0बी0 नड्डा, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, विश्वविद्यालय के शिक्षक गण विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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