भारतीय न्याय संहिता में नहीं होनी चाहिए नौकरशाही : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

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भारतीय न्याय संहिता में नहीं होनी चाहिए नौकरशाही : जगद्गुरु रामभद्राचार्य


-- चित्रकूट के दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में दो दिवसीय विचार गोष्ठी का शुभारम्भ

चित्रकूट, 22 मार्च (हि.स.)। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में शनिवार को संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय शाखा विधान भवन लखनऊ द्वारा ’भारतीय न्याय संहिता-2023 समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा’ विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारम्भ जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महराज सहित अतिथियों ने माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्वलित कर किया।

विश्वविद्यालय के जीवन पर्यंत कुलाधिपति पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत में भारतीय दंड संहिता लागू की थी। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद से 2022 तक के कालखंड तक वही दंड संहिता लागू रही। लेकिन भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय न्याय संहिता-2023 को लागू किया। कहा कि इसमें जो कमियां हैं, उन्हें प्रधानमंत्री से मिलकर सुधार कराया जाएगा। कहा कि न्याय की परिभाषा अपराधों पर दंडात्मक कार्यवाही अपनाना है। जहां समीक्षा है वहां परीक्षा नहीं, जहां प्रक्रिया है वहां प्रतिक्रिया नहीं, जहां अनुग्रह है वहां आग्रह नहीं, न्याय संहिता लक्षण प्राय है भक्षण प्राय नहीं। भारतीय न्याय संहिता मंगलों की है, अमंगलों की नहीं। भारतीय न्याय संहिता व्यापक दृष्टिकोण है। किसी भी अत्याचार को क्षमा नहीं करना चाहिए, उसमें कार्यवाही अवश्य होना चाहिए।

क्षमा तब करें जब तक क्षमता का सम्मान हो। जो भारतीय न्याय संहिता का अपमान करें, उसे भारत में जीने का अधिकार नहीं है। राष्ट्र की रेखा का समाधान श्रीरामचरितमानस है। कहा कि कोई भी महिला व पुरुष अत्याचार करें, तो उसे दंड देना ही चाहिए। जब तक हम अपने समाज परिवार बच्चों को न्यायसंगत कर्तव्य को नहीं सिखाएंगे, तब तक यह भारतीय न्याय संहिता अधूरी रहेगी। कहा कि सदाचारों की रक्षा करें, दुराचारों की नहीं। हमारी भारतीय संस्कृति बिखरी जा रही है, इसको संवारना होगा तभी यह भारतीय न्याय संहिता की मूल अवधारणा होगी। जब हम सब लोग एकजुट होकर कार्य करेंगे तभी राष्ट्र का विकास होगा।

विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता-2023 भारतीय समाज को मजबूती प्रदान करेगा और मील का पत्थर साबित होगा। कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना की। जिससे समाज को नई दिशा मिली है। इस विश्वविद्यालय के आयोजित दो दिवसीय विचार गोष्ठी में भारतीय न्याय संहिता 2023 के सम्बन्ध में जो सुझाव प्राप्त होंगे, उन्हें भारतीय न्याय संहिता 2023 में समाविष्ट किया जाएगा ताकि भारतीय समाज में सहभागिता बने। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 150 वर्षों बाद इस भारतीय न्याय संहिता निर्माण कराते हुए लागू किया गया है। इसमें नए कानून की भावना के अनुरूप धाराओं को लागू करके भारतीय न्याय संहिता 2023 को बनाया गया है। जिसमें नए आयाम को लेकर कानून बनाए गए हैं। बताया कि पहले के कानून में सिर्फ पुलिस की रक्षा की गई थी, लेकिन यह कानून सर्व समाज के कल्याण के लिए बनाया गया है।

श्री तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि जगद्गुरु ने दुनिया में सबसे पहले दिव्यांगों के शिक्षा के लिए यह विश्वविद्यालय स्थापित किया था। जिसमें इस गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। भगवान श्री राम की तपोस्थली यह धर्मनगरी न्याय की भूमि है, इस तीर्थ नगरी में आज भारतीय न्याय संहिता 2023 पर मंथन हो रहा है। यह गोष्ठी निश्चित रूप से राष्ट्र निर्माण में सार्थक होगी। प्रमुख सचिव विधान परिषद डॉक्टर राजेश सिंह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 से सम्बन्धित इस विचार गोष्ठी में विद्वानों द्वारा जो मार्गदर्शन दिया जाएगा, उसका भी इस न्याय संहिता में समावेश किया जाएगा।

इसके पूर्व जगद्गुरु, विधान परिषद सभापति सहित अन्य लोगों ने प्रमुख सचिव द्वारा लिखित प्राचीन भारत की न्यायिक व्यवस्था एवं महाभारत नामक पुस्तक का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों को अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया। साथ ही सूचना विभाग द्वारा बुकलेट आदि का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक डॉ गोपाल कुमार मिश्रा ने किया। इस मौके पर विधान परिषद सदस्य डॉ बृजेश चंद्रा, टीएन त्रिपाठी, हरिजी पांडेय, विजय शंकर पति त्रिपाठी, देवेंद्र उपाध्याय, प्रमोद कुमार मिश्रा, शशि शर्मा, बाला पांडेय, मीरा आचार्य, तूलिका आशुतोष, मंजू यादव, ममता आर्य, कनक लता निगम, दिनेश चंद्र त्रिपाठी, कृष्ण नारायण मिश्रा, शैलजा चैहान, रत्नेश्वर सिंह, विशेष सचिव विधान परिषद प्रताप नारायण द्विवेदी, शिवेंद्र सिंह व उपसचिव मुनेश कुमार सहित अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व उमेश चन्द्र निगम, उपजिलाधिकारी कर्वी पूजा साहू, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ भूपेश द्विवेदी, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडेय, कुलसचिव, शिक्षक, विद्यार्थी आदि मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रतन पटेल

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