रावत जाति के मामले में अजजा आयोग ने सीएस और डीसी को फटकारा, 15 दिन में रिपोर्ट तलब

उदयपुर, 24 मार्च (हि.स.)। अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को ओबीसी में जबरन शामिल कर छीनने के मामले में सांसद मन्ना लाल रावत की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और उदयपुर व चित्तौड़गढ़ कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। आयोग ने 15 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, अन्यथा सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
रावज का कहना था कि कांग्रेस शासन में इसे संवैधानिक रूप देने के आदेश जारी हुए, जिससे जनजातीय संपत्तियों पर कब्जे हो रहे हैं। उन्होंने कानोड़ के भैरूलाल मीणा के परिवाद का उल्लेख करते हुए बताया गया कि सरकारी रिकॉर्ड में रावत उपनाम के कारण अनुसूचित जनजाति के अधिकार छीने जा रहे हैं। सांसद मन्ना लाल रावत ने आरोप लगाया कि भील, भील-मीणा, मीणा को अन्य पिछड़ा वर्ग में दर्ज करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इससे अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकार (भूमि, शिक्षा, आरक्षण) प्रभावित हो रहे हैं।
जिसे गंभीरता से लेते हुए आयोग ने मुख्य सचिव और उदयपुर एवं चित्तौड़गढ़ के दोनों कलेक्टरों को तुरंत जवाब देने को कहा है, अन्यथा उन्हें आयोग के समक्ष उपस्थित होने के सम्मन जारी किए जाएंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता