बिजली बिलों में मिल्क व पर्यावरण सेस पर हिमाचल विधानसभा में नोक-झोंक

शिमला, 26 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को बिजली के बिलों में लगाए गए दूध और पर्यावरण सेस के मामले पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोक-झोंक हुई। इस दौरान दोनों तरफ से एक-दूसरे पर कटाक्ष भी किए गए।
प्रश्नकाल के दौरान विधायक भुवनेश्वर गौड़ और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के अनुपूरक सवाल पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में लोकहित के दृष्टिगत दूध आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिये विद्युत उपभोग पर उपकर (सेस) लगाए गए हैं। इससे कोई ज्यादा आय नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि बिजली बिलों में सेस जोड़ने का एकमात्र कारण केवल राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना तथा पर्यावरण सुरक्षा है।
यह सेस, ऊर्जा की खपत के आधार पर वर्गीकृत उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों पर लगाए गये हैं। होटल तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान में आते हैं जिस पर दुग्ध सेस 10 पैसे प्रति यूनिट तथा 10 पैसे प्रति यूनिट पर्यावरण सेस प्रावधित है। उन्होंने कहा कि आम लोगों पर इसका कोई भार नहीं पड़ रहा है। वैसे भी जो सेस लगाया गया है, वह बहुत कम है। उन्होंने कहा कि इसे प्रदेश के विकास में सक्रिय योगदान के रूप में देखा जाना चाहिये।
अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में मंदिरों की आय का कुछ हिस्सा गोवंश के लिए रखा था। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक भी हुई। उन्होंने कहा कि लोगों को सस्ती बिजली मिले, उसके लिए 1555 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग को भी 44.5 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है।
विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने पूछा कि मनाली में होटल मालिकों को जनवरी माह में भारीभरकम बिल आए हैं, जबकि जनवरी माह में होटल खाली रहते हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि बिल ज्यादा आ रहा है तो उपभोक्ता इसकी शिकायत इलेक्ट्रिसिटी रिड्रेसल फोरम पर कर सकता है।
वहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यदि सेस लगाने के बाद भी आय नहीं हो रही है तो ये सेस क्यों लगाए हैं। उन्होंने कहा कि होटल उद्योग को इसके दायरे से बाहर करना चाहिए, क्योंकि उन पर इसका भारी भार है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा