गुरुग्राम: बांग्लादेश गारमेंट इंडस्ट्री में संकट भारतीय उद्योग के लिए अवसर: दीपक मैनी

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गुरुग्राम: बांग्लादेश गारमेंट इंडस्ट्री में संकट भारतीय उद्योग के लिए अवसर: दीपक मैनी


गुरुग्राम, 25 मार्च (हि.स.)। बांग्लादेश में गहराते गारमेंट उद्योग संकट के बीच भारतीय गारमेंट्स और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा अवसर पैदा हुआ है। बांग्लादेश में बीते सात महीनों में 140 से अधिक गारमेंट फैक्ट्रियों के बंद होने और एक लाख से अधिक श्रमिकों के बेरोजगार होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बड़ा गैप बन गया है। यह कहना है प्रोग्रेसिव फेडरेशन का ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी का।

उन्होंने कहा कि भारतीय गारमेंट और टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स को इस मौके का पूरा लाभ उठाना चाहिए। बांग्लादेश के गारमेंट सेक्टर की मंदी के कारण यूरोप, अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों में रेडीमेड गारमेंट और टेक्सटाइल के निर्यात में कमी आई है, जिसे भारतीय उद्योग तेजी से भर सकता है। पीएफटीआई चेयरमैन निकाह की बांग्लादेश की आंतरिक सरकार से वहां की गारमेंट इंडस्ट्री को सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण इस क्षेत्र के उद्यमी निराशा और मायूस है और एक के बाद एक गवर्नमेंट मैन्युफैक्चरिंग यूनिटी बंद हो रही हैं। रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में बांग्लादेश भारत का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी रहा है। इस समय जिस प्रकार का वातावरण बांग्लादेश में है, वह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है , जिसका लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान में बात की जाए तो बांग्लादेश के द्वारा अमेरिका को जो गवर्नमेंट एक्सपोर्ट किया जाता है उसमें 6 से लेकर 7 बिलियन डॉलर तक की गिरावट आई है। वहीं भारत का गवर्नर निर्यात बांग्लादेश में आए संकट की बात 4.4 बिलीयन डॉलर तक उछला है।

प्रोग्रेसिव फेडरेशन का भारत सरकार को सुझाव है कि वैश्विक बाजार में बांग्लादेश के गैप को भरने के लिए सरकार विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू करे । जिससे भारतीय कंपनियां तेजी से वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकें। बांग्लादेश को पीछे छोडऩे के लिए भारत में नए निवेश और उत्पादन विस्तार के लिए अनुकूल नीति बनाई जाए। भारतीय गारमेंट एक्सपोर्टर्स को सरकारी प्रक्रिया में आसानी और लॉजिस्टिक्स सुधार की जरूरत है। जिससे ऑर्डर को तेजी से पूरा किया जा सके। विदेशी खरीदारों को आकर्षित करने के लिए ब्रांडिंग की आवश्यकता है। भारतीय टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत करनी होगी। बांग्लादेश से शिफ्ट हो रहे ग्राहकों को भारत में आकर्षित करना होगा।

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का 84 प्रतिशत विदेशी मुद्रा आयात रेडीमेड गारमेंट और टेक्सटाइल उद्योग से आता था, लेकिन अब यह क्षेत्र संकट में है। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश से 20 प्रतिशत ऑर्डर पहले ही भारत, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान की ओर शिफ्ट हो चुके हैं। दीपक मैनी ने कहा कि अगर भारत इस मौके को सही रणनीति के साथ उपयोग करता है तो यह न केवल हमारे निर्यात को बढ़ाने का अवसर है, बल्कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री में लाखों नए रोजगार भी उत्पन्न कर सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

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