राज कुमार भाटिया को मिला पहला प्रो. देवेन्द्र स्वरूप सम्मान

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राज कुमार भाटिया को मिला पहला प्रो. देवेन्द्र स्वरूप सम्मान


आआपा वालों के सत्ता का अहंकार खत्म करना पहली चुनौतीः विजेन्द्र गुप्ता

नई दिल्ली, 29 मार्च (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के वरिष्ठ चिंतक और संगठनकर्ता राजकुमार भाटिया को प्रख्यात इतिहासकार, लेखक, सम्पादक, प्राध्यापक और शोधार्थी देवेन्द्र स्वरूप की स्मृति में स्थापित पहला सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान की स्थापना दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज के पूर्व छात्र परिषद् (एल्युमनाई एसोसिएशन) ने की है। उल्लेखनीय है कि प्रो. देवेन्द्र स्वरूप और राजकुमार भाटिया उपाख्य राज जी इसी महाविद्यालय में प्राध्यापक थे। कॉलेज के सभागार में आयोजित इस सम्मान समारोह की अध्यक्षता दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने की जबकि मुख्य वक्ता के तौर पर साप्ताहिक पांचजन्य के सम्पादक हितेश शंकर सम्मिलित हुए। भाजपा के वरिष्ठ संगठनकर्ता वी.सतीश और वरिष्ठ संघ प्रचारक सुरेश जैन भी उपस्थित रहे। कॉलेज की प्राचार्य डॉ. कृष्णा शर्मा, प्राध्यापक अविनिजेश अवस्थी और एल्युमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने आयोजन को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

सभी वक्ताओं ने प्रो. देवेन्द्र स्वरूप के महान व्यक्तित्व का स्मरण करते हुए उन्हें एक वैचारिक योद्धा, आदर्श समाजसेवी और एक राष्ट्रभक्त शोधार्थी बताया। हितेश शंकर ने कहा कि गहरे शोधपूर्ण लेखन से प्रो. देवन्द्र स्वरूप ने वैचारिक अभियान को जो धार दी, उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। संघ बीज से वृक्ष, जातिविहीन समाज का सपना, अयोध्या आंदोलन और संविधान की औपनिवेशिक पृष्ठभूमि पर उनके द्वारा किया गया कार्य हमेशा मार्ग दिखाता रहेगा। सच यह भी है कि अपना मूल्य स्थापित करने के लिए कभी-कभी बहुत कीमत चुकानी पड़ती है। प्रो. देवन्द्र स्वरूप ने अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए अभाव सहते हुए भी अपना प्रभाव स्थापित किया।

राजकुमार भाटिया ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उन्हें एक महान विभूति की स्मृति में दिए जाने वाले प्रथम सम्मान के लिए चुना गया। उन्होंने पूर्व छात्र परिषद् के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे अधिक सक्रिय करने पर बल दिया।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी परिषद् में रहते हुए मेरे जैसे सैकड़ों कार्यकर्ताओं का जीवन गढ़ने में राज जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रो. देवेन्द्र स्वरूप को रा.स्व.संघ के विषय में चलता फिरता इन्साइक्लोपीडिया कहा जाता था।

विजेन्द्र गुप्ता ने इस अवसर पर विधानसभा के भीतर चल रहे परिदृश्य पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उन्हें बतौर विधानसभा अध्यक्ष ऐसे विपक्ष की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो अपने जन्मकाल से ही सत्ता में रहा। उसका यह अहंकार ही सदन को संचालित करने में बाधा बन रहा है। इसके बावजूद हमने तय कर रखा है कि हम सदन की कार्यवाही को नियमित रूप से संचालित करेंगे ताकि जनहित में और दिल्ली के हित में निर्णय हों।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी

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