विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कामकाज पर उठाए सवाल

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विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कामकाज पर उठाए सवाल


नई दिल्ली, 27 मार्च (हि.स.)। विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर चिंता जताई है कि सरकार संसदीय प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मानदंडों का समुचित पालन नहीं कर रही है। पत्र में उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने और नेता विपक्ष को कथित तौर पर बोलने नहीं देने सहित कार्यमंत्रणा समिति में लाए बिना सदन के कामकाज पर निर्णय लेने जैसे कई मुद्दे उठाए हैं।

इस पत्र में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, एनसीपी (एससीपी), शिवसेना (यूबीटी) सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में 12 विषयों पर अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित कराया गया है। इसमें कहा गया है कि स्वस्थ लोकतंत्र के के लिए सभी सदस्यों को समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

पत्र में कहा गया है कि उपाध्यक्ष का पद 2019 से खाली है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत इसका आवश्यक प्रावधान है। इससे सदन की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है। इसके अलावा विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। यह कामकाज और सदन में होने वाली स्वस्थ चर्चाओं की परंपरा को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है। विपक्षी नेताओं के बोलते समय उनका माइक स्विच ऑफ कर दिया जाता है। उनके भाषण के दौरान संसद टीवी उनका चेहरा नहीं दिखता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुंभ पर दिए वक्तव्य को एक उदाहरण बनाते हुए विपक्ष ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति में ले जाए बिना ही सरकार अपनी तरफ से निर्णय ले रही है। उनका कहना कि संसद की स्थायी समितियों के कामकाज में अध्यक्ष के कार्यालय से हस्तक्षेप किया जा रहा है और सदन की समितियां बनाते समय विपक्षी दलों से चर्चा नहीं की जा रही है। वहीं कई परामर्श समितियों की बैठक नियमित नहीं हो रही हैं।

विपक्ष ने पत्र में सरकार पर बजट और अनुदान मांगों पर चर्चा से कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों को बाहर रखने, नियम 193 के तहत राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा से बचने, विपक्ष की ओर से लाए गए कार्य स्थगन प्रस्तावों को नजर अंदाज एवं खारिज करने और निजी विधेयक अथवा प्रस्तावों पर चर्चा के लिए समय नहीं देने जैसे आक्षेप लगाए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

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