काशी के मूर्धन्य पत्रकार चक्रवर्ती गणपति नावड़ का निधन, पत्रकारों में शोक

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काशी के मूर्धन्य पत्रकार चक्रवर्ती गणपति नावड़ का निधन, पत्रकारों में शोक


--एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद अपनी अदम्य इच्छा शक्ति, कठिन परिश्रम से पत्रकारिता में दिया उल्लेखनीय योगदान

वाराणसी, 30 मार्च (हि.स.)। भारत की हिंदी पत्रकारिता में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में लगभग पांच दशकों से सक्रिय दैनिक 'आज' के कार्यकारी संपादक चक्रवर्ती गणपति नावड़ का लम्बी बीमारी के बाद 85 वर्ष की आयु में गायघाट स्थित आवास पर शनिवार देर रात निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार के निधन की खबर मिलते ही पत्रकारों और साहित्यकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। रविवार को सुबह से ही शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए लोग उनके आवास पर उमड़ पड़े।

चक्रवर्ती गणपति नावड़ का नाम हिंदी पत्रकारिता के गौरवशाली इतिहास में याद किया जाएगा। वे उन अहिंदी भाषी पत्रकारों में से थे, जिन्होंने हिंदी पत्रकारिता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में योगदान दिया। स्मृतिशेष पं. बाबूराव विष्णु पराडकर, स्मृतिशेष लक्ष्मण नारायण गर्दे, स्मृतिशेष रामचंद्र नरहरि बापट और स्व. विद्या भास्कर जैसे महान व्यक्तित्वों की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए श्री नावड़ ने पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान बनाया।

अद्वितीय इच्छा शक्ति और अटूट परिश्रम के प्रतीक रहे श्री नावड़ ने एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद अपने कर्तव्य के प्रति अडिग प्रतिबद्धता के साथ लगभग पांच दशक तक हिंदी पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे जीवन की कठिनाइयों, विसंगतियों के बावजूद कबीर की तरह फक्कड़ जीवन जीते हुए एक ऋषि पत्रकार के रूप में पत्रकारिता के सिद्धांतों को जीवित रखे रहे।

उनके पुत्र विजय नावड़ के अनुसार, अंतिम यात्रा गायघाट स्थित आवास से दोपहर में निकलेगी। इसके बाद शव यात्रा त्रिलोचन घाट तक पहुंचेगी और फिर जलमार्ग से स्टीमर के माध्यम से मणिकर्णिका घाट पर अंत्येष्टि के लिए जाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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