जीणमाता मेले में पुजारियों और बत्तीसी संघ के बीच विवाद, मंदिर के पट तीन घंटे रहे बंद

सीकर, 4 अप्रैल (हि.स.)। सीकर जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीणमाता में चल रहे लक्खी मेले के दौरान गुरुवार देर रात बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों और बत्तीसी संघ के श्रद्धालुओं के बीच तीखी झड़प हो गई, जो मारपीट और तोड़फोड़ तक पहुंच गई। हालात बिगड़ने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मंदिर के पट तीन घंटे के लिए बंद कर दिए गए।
जीणमाता मेले में 32 गांवों से मिलकर बना बत्तीसी संघ हर वर्ष चैत्र नवरात्र की षष्ठी को मंदिर में विशेष दर्शन और पूजा करता है। परंपरा के अनुसार, दर्शन से पूर्व प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के बीच एक बैठक होती है, जिसमें व्यवस्थाओं पर सहमति बनाई जाती है। गुरुवार को हुई बैठक में यह तय हुआ था कि दर्शन के दौरान मंदिर में केवल तीन पुजारी ही उपस्थित रहेंगे। लेकिन जब बत्तीसी संघ दर्शन के लिए पहुंचा, तो तय संख्या से अधिक पुजारी वहां मौजूद थे। इस पर प्रशासन ने अतिरिक्त पुजारियों को हटाने का निर्देश दिया, लेकिन ट्रस्ट पक्ष ने विरोध जताया।
जैसे-जैसे बत्तीसी संघ के श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे, विवाद ने तूल पकड़ लिया। पुजारियों और संघ के सदस्यों के बीच जमकर कहासुनी हुई, जो बाद में धक्का-मुक्की और मारपीट में बदल गई। प्रशासन ने बीच-बचाव की कोशिश की तो ट्रस्ट के कुछ सदस्यों ने अधिकारियों से भी झड़प कर ली। हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने हस्तक्षेप कर कुछ ट्रस्ट सदस्यों को हिरासत में लिया।
घटना के विरोध में मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर के पट बंद कर दिए, जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी हुई। ट्रस्ट कार्यालय में भी कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ की। इसके बाद बत्तीसी संघ के सदस्य मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए। सूचना मिलते ही एसडीएम मोनिका सामोर, जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा और पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव मौके पर पहुंचे। अधिकारियों की मध्यस्थता के बाद दोनों पक्षों में समझौता हुआ और मंदिर के पट देर रात फिर से खोल दिए गए।
उल्लेखनीय है कि बत्तीसी संघ 32 गांवों- जैसे बाघोली, पचलंगी, नीमकाथाना, राणासर, जीणमाता आदि के श्रद्धालुओं का समूह है, जो स्वयं को मां जीण भवानी का वंशज मानता है। यह संघ हर साल चैत्र नवरात्र के अवसर पर सिर पर जलती सिगड़ी लेकर जीणमाता धाम तक पदयात्रा करता है। संघ मंदिर ट्रस्ट को मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप चुका है, लेकिन यह मानता है कि मंदिर पर पहला अधिकार उसका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर