नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना, मिलती हैं आठों सिद्धियां, जानें महिमा

वाराणसी। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना का विशेष महत्व है। यह स्वरूप देवी दुर्गा की वह शक्ति है, जो साधकों को अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं। मार्कण्डेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईषित्व और वशित्व जैसी आठ सिद्धियों का वर्णन है, जिनकी प्राप्ति मां सिद्धिदात्री की कृपा से संभव है। काशी के गोलघर में मां सिद्धिदात्री का मंदिर है। वहां भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या कर इन सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था। यही कारण है कि शक्ति के इस प्रभाव से भगवान शिव का आधा शरीर देवी स्वरूप में परिवर्तित हो गया और वे अर्धनारीश्वर कहलाए। तांत्रिक साधनाओं में अर्धनारीश्वर रूप की उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
मां सिद्धिदात्री सिंह पर सवार, चतुर्भुजा, कमलासन और शंख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण किए हुए हैं। माता भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ इस दिन उनकी उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गोलघर स्थित सिद्धमाता गली में मां सिद्धिदात्री के प्राचीन मंदिर में श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। इस मंदिर के पुजारी बच्चा लाल मिश्र के अनुसार, नवरात्र के अंतिम दिन मां की विशेष आरती और हवन का आयोजन होता है, जो भक्तों को चमत्कारी अनुभूतियां प्रदान करता है।