सीयूजे में भारतीय सामरिक विचार पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का समापन

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सीयूजे में भारतीय सामरिक विचार पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का समापन


जम्मू, 21 मार्च (हि.स.)। जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग ने कुलपति प्रो. संजीव जैन के नेतृत्व में 17 से 21 मार्च तक भारतीय सामरिक विचार और युद्ध-भारतीय ज्ञान प्रणाली पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम में प्रख्यात विशेषज्ञ और सैन्यकर्मी एक साथ आए और भारत की सामरिक विरासत और समकालीन सुरक्षा चुनौतियों पर गहन चर्चा की।

कार्यक्रम का उद्घाटन 17 मार्च को प्रो. उत्तम कुमार जमदग्नि ने किया जिन्होंने प्राचीन भारत की समुद्री शक्ति पर एक गहन व्याख्यान दिया। इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) जे.एस. चीमा (सेवानिवृत्त) ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का गहन विश्लेषण किया। दूसरे दिन प्रो. मीना दत्ता और ग्रुप कैप्टन (डॉ.) ए. वी. चंद्रशेखरन (सेवानिवृत्त) ने क्रमशः रक्षा नीति में रणनीतिक मुद्दों और महाभारत और रामायण से सैन्य रणनीतियों पर व्याख्यान दिए।

तीसरे दिन मेजर जनरल मंजीत सिंह मोखा (सेवानिवृत्त) और मेजर जनरल अमरजीत सिंह (सेवानिवृत्त) के सत्र हुए जिन्होंने भारत की रणनीतिक संस्कृति और विचार के बारे में जानकारी दी। चौथे दिन, लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) जे. एस. चीमा (सेवानिवृत्त) ने स्वतंत्रता के बाद से भारत की रणनीतिक संस्कृति पर चर्चा की, उसके बाद प्रो. जसकरन सिंह वरैच ने भारतीय रणनीतिक नीतियों को आकार देने में कौटिल्य के अर्थशास्त्र के महत्व पर प्रकाश डाला। वहीं अंतिम दिन प्रो. अरुण विश्वनाथन ने परमाणु मुद्दों और रणनीतियों पर भारतीय रणनीतिक सोच पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया।

समापन सत्र में सहायक प्रोफेसर और सह-संयोजक डॉ. अनुराधा चौधरी ने उपस्थित लोगों की सक्रिय भागीदारी के लिए प्रशंसा व्यक्त की। डॉ. नीता रानी, ​​विभागाध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर ने समापन भाषण दिया, कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की और सम्मानित वक्ताओं और माननीय कुलपति प्रो. संजीव जैन को उनके अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

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