हिसार : देवभूमि कालवन प्रवासी पक्षी सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित

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हिसार : देवभूमि कालवन प्रवासी पक्षी सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित


हिसार : देवभूमि कालवन प्रवासी पक्षी सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित


जींद जिले का पहला सामुदायिक रिजर्व क्षैत्र घोषितएशिया व मंगोलिया सहित अन्य क्षेत्रों से कालवन आते 21 प्रजातियों के पक्षी अब तक यहां मिल चुके 34 दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी

हिसार, 21 मार्च (राजेश्वर बेनीवाल)। हरियाणा सरकार ने जींद जिले के नरवाना तहसील स्थित कालवन गांव में ‘देवभूमि कालवन प्रवासी पक्षी सामुदायिक रिजर्व’ घोषित किया की है। यह क्षेत्र 27 एकड़, दो कनाल, और 11 मरला भूमि में फैला है। यहां प्रवासी पक्षियों की 34 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से 21 विदेशी और 13 भारतीय प्रजातियां हैं। इनमें कॉमन पोचार्ड और ब्लैक-टेल्ड गोडविट जैसी लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं।

इस रिजर्व की स्थापना से जैव विविधता की सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन का संवर्धन और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के प्रति समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गत वर्ष 27 मई को ग्राम पंचायत द्वारा कालवन में जैव विविधता का कार्यक्रम किया जिसमें प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षक विनोद कड़वासरा के समक्ष आरक्षित क्षेत्र घोषित करवाने की मांग रखी और उसके बाद कार्यवाही आगे बढ़ी। वन्यप्राणी विभाग व उपायुक्त के माध्यम से प्रस्ताव मंगवाया।ग्राम पंचायत सरपंच कविता नैन की की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा गया। वन्यजीव संरक्षण में गत दशक से प्रयासरत वन्यजीव संरक्षक विनोद कड़वासरा ने बताया कि गांव कालवन के लोगों की भावनाओं के अनुरूप इस आरक्षित क्षैत्र का नाम देवभूमि सामुदायिक आरक्षित क्षैत्र घोषित किया गया है।

गांव वासियों की मांग व पंचायत प्रस्ताव के अनुसार उपायुक्त जींद और नरवाना विधायक की अनुशंसा के साथ डिजिटल मानचित्र और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई, जिस अनुसार राज्य सरकार ने इस इलाके में समुदाय के प्रयासों को महत्व देते हुए आरक्षित क्षैत्र घोषित किया गया। विनोद कड़वासरा द्वारा तैयार की गई 100 पेज़ों से अधिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में इस इलाके के सभी प्रकार के विशेषतः प्रवासी पक्षियों, जीव जंतुओं और पेड़ पौघों का सचित्र विवरण दिया गया है। उन्होंने जैव विविधता संरक्षण में अपने लंबे अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए इस परियोजना को आकार दिया है। सरपंच प्रतिनिधि कुलदीप नैन ने बताया कि ग्राम पंचायत व गांव कालवन के सभी लोग प्रवासी पक्षियों का संरक्षण करते आ रहे है।

क्या होंगे फायदेवन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के प्रावधानों अनुसार प्रबंधन समिति का गठन करके प्रस्ताव उचित माध्यम से सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। प्रबंधन समिति में गांव से कम से कम पांच सदस्य, समुदाय प्रतिनिध और जिला वन्य प्राणी विभाग प्रभारी सचिव के रूप में रहेगा। प्रबंधन समिति के सुझावों अनुसार ही इस इलाके की प्रजातियों के लिए संरक्षण योजना तैयार करके सरकार को भेजी जाएगी। भविष्य की योजनाओं में प्रवासी पक्षियों के लिए सुविधाएं, समस्याओं का निवारण, वेटलैंड रखरखाव, क्षेत्रीय वनस्पतियों का पुनरुत्थान और स्थानीय समुदाय को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान शामिल हैं। कालवन की सरपंच कविता नैन का कहना है कि ग्राम पंचायत और सभी ग्रामवासी इस इलाके को आरक्षित घोषित करवाने के लिए प्रयासरत थे। इससे गांव को देश में अलग पहचाना मिलेगी। उन्होंने ग्राम पंचायत की तरफ से सरकार का आभार जताया है। राज्य वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव संरक्षक डॉ. विवेक सक्सेना का कहना है कि यह सामुदायिक रिजर्व वन्य जीव संरक्षण विशेषकर प्रवासी पक्षियों के संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और स्थानीय समुदाय को पर्यावरणीय पहल में सक्रिय रूप से शामिल करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। सरंक्षित करने का यह कदम न केवल क्षेत्रीय जैव विविधता को संरक्षित करेगा, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल भी बनेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

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