भारतीय वैदिक शोध परंपरा से प्रेरित है वैश्विक शोध प्रणाली: प्रो.ओ.पी सिंह

पूर्वी चंपारण,26 मार्च (हि.स.)। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला में आज फील्ड विजिट और सर्वे से संबंधित सत्र का आयोजन किया गया। इसको लेकर सभी प्रतिभागी सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, अरेराज पहुंचे।
पाँचवें दिन के पहले और दूसरे तकनीकी सत्र में महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता केंद्र, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के पूर्व निदेशक ओम प्रकाश सिंह ने वैदिक शोध परंपरा और भारतीय शोध प्रणाली पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि, वैश्विक शोध प्रणाली कहीं न कहीं भारतीय वैदिक शोध परंपरा से प्रेरित है तथा वर्तमान समय में भी प्रचलित विभिन्न शोध प्रणालियों में भारतीय ज्ञान परंपरा की ही झलक दिखाई देती है।
उन्होंने आगमनात्मक एवं निगमनात्मक शोध में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि, आगमनात्मक शोध विशिष्ट अवलोकनों से सामान्यीकरण की ओर बढ़ता है जबकि निगमनात्मक शोध पहले से मौजूद सिद्धांतों या परिकल्पनाओं की जाँच करता है।उन्होने क्षेत्र में कार्य करने और डेटा संग्रह करने के दौरान आने वाली परेशानियों पर भी चर्चा की। कई बार फील्ड विजिट के दौरान प्रश्नावली भरते समय उत्तरदाता गलत जानकारी भर देते हैं अथवा प्रश्नों को सही से समझे बिना ही उत्तर दे देते हैं। इस स्थिति में शोध के लिए एकत्र किया गया डेटा त्रुटिपूर्ण हो जाता है।
उन्होंने बताया कि, व्यावहारिक शोध के लिए आवश्यक मापदंडों का प्रयोग करना अति आवश्यक है।तीसरे तकनीकी सत्र में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो शिरीष मिश्रा ने सभी प्रतिभागियों को डेटा संग्रह करने की आधुनिक तकनीकों के बारे में बताया। कार्यशाला का संचालन डॉ सुनील दीपक घोड़के ने किया। विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा ने सभी अतिथियों का अभिवादन व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार