काशी में उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ हुआ नवसंवत्सर का स्वागत, मां गंगा की आरती उतारी

वाराणसी। काशी में रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ नव संवत्सर 2082 का भव्य स्वागत किया गया। गंगोत्री सेवा समिति और नमामि गंगे के तत्वावधान में पतितपावनी मां गंगा की आरती उतारी गई। सूर्यदेव को दूध से अर्घ्य देकर विश्व के कल्याण की कामना के साथ ही वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दिया गया। गंगा तट पर पर्यावरण संरक्षण और मानव कल्याण के लिए यज्ञ का आयोजन हुआ।
गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पंडित किशोरी रमण दुबे ने नव संवत्सर पर जनमानस को शुभकामनाएं दीं। समिति के सचिव पंडित दिनेश शंकर दुबे ने कहा कि भारतीय नव संवत्सर का शुभारंभ गंगा आरती से करना आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का अनुभव कराता है। गंगा आरती सनातन संस्कृति की शक्ति और पवित्रता की प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है।
नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक और नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय संस्कृति का अमृत गान है। नव संवत्सर हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और उसे सहेजने का अवसर प्रदान करता है। यह सृष्टि के नूतन स्पंदन का प्रतीक है, जो जन-कल्याण और प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। इस विशेष आयोजन में मयंक दुबे, गंगा आरती अर्चक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।