त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 संसद से पारित

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त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 संसद से पारित


त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 संसद से पारित


नई दिल्ली, 1 अप्रैल (हि.स.)। राज्य सभा ने मंगलवार को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद (आईआरएमए) को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करना और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करना है। विश्वविद्यालय का नाम सहकारी आंदोलन के नेता और अमूल डेयरी के संस्थापक त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा जाएगा, जो भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे और अमूल की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।।

लोकसभा से यह विधेयक 26 मार्च, 2025 को पहले ही पारित किया जा चुका है।

गुजरात के आणंद में स्थापित होने वाला 'त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय' सहकारी क्षेत्र में तकनीकी और प्रबंधन से जुड़ी शिक्षा पर केंद्रित होगा। इसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में शोध और विकास, वैश्विक उत्कृष्टता और सहकारी आंदोलन को मजबूती प्रदान करना है। यह सरकार के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन का हिस्सा है। त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर बनने वाले इस विश्वविद्यालय में हर साल 8 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता होगी।

केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने राज्यसभा में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि देश में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि में लगी हुई है और 8 लाख सहकारी संस्थान हैं, जिनसे 30 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। सहकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जो देश के हर परिवार को छूता है। हर गांव में कोई न कोई इकाई ऐसी है जो सहकारिता के माध्यम से कृषि विकास, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार से जुड़ी है और देश की प्रगति में योगदान दे रही है। इस विधेयक के पारित होने के बाद इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी, स्वरोजगार और छोटी उद्यमिता का विकास होगा, सामाजिक समावेशन भी बढ़ेगा और नवाचार और अनुसंधान में नए मानक स्थापित करने के अवसर मिलेंगे। यह सहकारी क्षेत्र के लिए पहला विश्वविद्यालय होगा और इस क्षेत्र में लगे जनशक्ति के क्षमता निर्माण और कुशल पेशेवरों को तैयार करने की आवश्यकता को पूरा करेगा।

उन्होंने कहा कि यह सहकारी विश्वविद्यालय नई पहलों के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन मुहैया कराना सुनिश्चित करेगा और देश भर में 284 सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को एकीकृत करेगा। मौजूदा केंद्रों की क्षमता में वृद्धि करेगा, देश भर में दीर्घकालिक सहकारी पाठ्यक्रमों में वृद्धि करेगा और सहकारी क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली स्थापित करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

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