किसी भी समुदाय के विरुद्ध नहीं हैं समान नागरिक संहिता: रविन्द्र पुरी
-लिव इन रिलेशन में धोखा देने पर हैं दंड का प्रावधान: नीरज गुप्ता
हरिद्वार, 26 मार्च (हि.स.)। एसएमजेएन पीजी कॉलेज में कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, हरिद्वार नागरिक मंच और यूको बैंक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड राज्य’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन भी विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों, अतिथियों, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर अपने शुभकामना संदेश में श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि समान नागरिक संहिता के विषय में समाज में भ्रम फैलाया जा रहा हैं कि यह किसी समुदाय के विरुद्ध बनाया हुआ कानून हैं। श्रीमहंत ने कहा कि समान नागरिक संहिता तो सभी धर्मों तथा सभी वर्गों को एक समान दृष्टि से देखता है और सभी को समानता का अवसर प्रदान करता हैं। इस अवसर पर अपने शुभकामना सन्देश में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो सुनील बत्रा ने आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ को सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता लिव इन रिलेशन में जन्मे बच्चे को भी उसका अधिकार दिलाता हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शासकीय अधिवक्ता नीरज कुमार गुप्ता ने समान नागरिक संहिता विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस कानून में विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों का ध्यान रखा गया है। उन्होनें बताया कि समान नागरिक संहिता में मुख्य रूप से विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन और उत्तराधिकार पर कानूनी प्रकाश डालता है। अधिवक्ता नीरज गुप्ता ने यूसीसी से सम्बन्धित शंकाओं का समाधान भी किया। इस अवसर पर उपस्थित एडवोकेट अजरा कोमल ने जनजागरुकता के लिए महाविद्यालय परिवार के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता देश को नई ऊंचाई पर ले जाने की पहल हैं तथा महिलाओं को अतिरिक्त ताकत तथा सुरक्षा दे रही हैं।
इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर संजय माहेश्वरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंड की लोक विरासत को भी संरक्षण दे रही हैं। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के दायरे में प्रवासी मूल उत्तराखंडी भी आएंगे।
अपने संबोधन में विधि स्नातक और पत्रकार संदीप रावत प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों के सवाल पर कहा कि उत्तराखंड में लागू होने वाले यूसीसी (समान नागरिक संहिता) से अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को बाहर रखने का मुख्य कारण उनकी विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को संरक्षित करना है। यह संविधान में उन्हें दिए गए विशेष प्रावधानों के अनुरूप है।
कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा यूसीसी के प्रति समाज में जागरूकता के लिये नाटिका भी आयोजित की गई जिसमें पिंकी, सौरभ, मोना, दिव्याशुं नेगी, शीतल, भव्या, राज, अनसुईया, नेहा, ऋषिका, वंश और शंशाक ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर यादवेंद्र सिंह ने व्याख्यान के माध्यम से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को समझाया।
इस अवसर पर डॉ. शिवकुमार चौहान, डॉ. मनोज सोही, वैभव बत्रा, दिव्यांश शर्मा, हरीश चंद्र, डॉ. विनीता चौहान, रिचा मिनोचा, कविता छाबड़ा, रिंकल गोयल, डॉ. लता शर्मा, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. सरोज शर्मा, डॉ. पुनीता शर्मा, डॉ. विजय शर्मा, कार्यालय अधीक्षक मोहन चंद्र पाण्डेय, संजीत कुमार, प्रिंस श्रोत्रिय आदि उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला