राजस्थान के 11 जिलों की ग्रामीण सहकारी दुग्ध समितियों के लिये 88 करोड़ रुपये की कार्य योजना स्वीकृत

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राजस्थान के 11 जिलों की ग्रामीण सहकारी दुग्ध समितियों के लिये 88 करोड़ रुपये की कार्य योजना स्वीकृत


राजस्थान के 11 जिलों की ग्रामीण सहकारी दुग्ध समितियों के लिये 88 करोड़ रुपये की कार्य योजना स्वीकृत


जयपुर, 28 मार्च (हि.स.)। भारत सरकार ने राजस्थान में डेयरी विकास के लिये पिछले वर्ष की तुलना में अनुदान राशि में तीन गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी की है। गांव से लेकर शहरों तक आमजन को शुद्व एवं पौष्टिक दूध एवं दूध से बने उत्पाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रतिबद्धता के चलते राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने भारत सरकार को राज्य की प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाने के लिये 87.73 करोड़ रुपये की कार्य योजना प्रस्तुत की थी। भारत सरकार ने आरसीडीएफ की कार्य योजना को ज्यों की त्यों स्वीकृत करने की सैद्वान्तिक स्वीकृति दे दी है। यह स्वीकृति केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी सचिव की अध्यक्षता में 26 मार्च को नई दिल्ली में आयोजित बैठक में दी जिसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व आरसीडीएफ की प्रशासक एवं प्रबन्ध संचालक श्रुति भारद्वाज ने किया।

बैठक में भारद्वाज ने राजस्थान राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के सुदृढ़ीकरण एवं दुग्ध संकलन में बढ़ोतरी के लिये 87.73 करोड़ रुपये की कार्य योजना पर विस्तृत प्रकाश डाला। आरसीडीएफ द्वारा प्रस्तुत कार्य योजना पर भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी सचिव ने सैद्वान्तिक स्वीकृति दी। बैठक में भारत सरकार ने आरसीडीएफ द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये स्वीकृत की गई 17.84 करोड़ रुपये का त्वरित उपयोग कर राज्य के ग्रामीण स्तर तक डेयरी विकास कार्यक्रम पहुंचाने के प्रयासों की भी सराहना की गई।

श्रुति भारद्वाज ने बताया कि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई यह राशि राज्य के 11 जिला दुग्ध संघों के क्षेत्राधिकार में प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में उच्च गुणवत्तायुक्त दुग्ध संकलन एवं डेयरी विकास की अन्य गतिविधियों पर खर्च की जायेगी।

स्वीकृत राशि में आरसीडीएफ एवं सम्बद्व जिला दुग्ध संघों द्वारा 30.61 करोड़ रुपये का अंशदान शामिल है। स्वीकृत राशि से प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के लिये नये बल्क मिल्क कूलर और उच्च तकनीकयुक्त आधुनिकतम जांच उपकरण क्रय कर उपलब्ध कराये जायेंगे ताकि प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के स्तर पर ही दूध की गुणवत्ता में आशातीत सुधार होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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