एचएयू की विकसित गेहूं की उन्नत किस्में देश भर में लोकप्रिय : प्रो. बीआर कम्बोज

अनुसूचित जाति के किसानों के लिए हकृवि में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
हिसार, 2 अप्रैल (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं एवं जौ अनुभाग,
आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग द्वारा ‘किसानों की उपज बढ़ाने के लिए गेहूं एवं जौ
कि उन्नत तकनीक’ विषय पर अनुसूचित जाति
के किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज मुख्य अतिथि रहे। प्रो. कम्बोज ने अपने संबोधन में कहा कि किसान नवीनतम तकनीकों एवं संसाधनों
का उपयोग जरूर करें। उन्नत किस्म के बीजों का चयन, मृदा परीक्षण, सिंचाई प्रबंधन, जैविक
एवं रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग तथा कीट एवं रोग नियंत्रण जैसी नवीनतम तकनीक
अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
शोध एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया
है, इसलिए उन्नत किस्मों के बीज तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को और अधिक मेहनत के
साथ कार्य करना होगा। विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक गेहूं की अधिक उत्पादन
देने वाली गेहूं की उन्नत किस्में लगातार वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की जा रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा गत वर्ष के दौरान विकसित की गई 1402 और 1270 देश
में सर्वाधिक गेहूं का उत्पादन देने वाली किस्में हैं। उन्होंने कहा कि हकृवि के वैज्ञानिकों
द्वारा विकसित गेहूं की उन्नत किस्में देश भर में लोकप्रिय हैं।
कुलपति ने कहा कि जौ हरियाणा की एक महत्वपूर्ण रबी फसल है। जौ का उत्पादन शुष्क
और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में किया जाता है। कम संसाधनों वाले किसानों को
पारम्परिक फसलों पर निर्भर न रहने की बजाय सब्जियों, फलों और औषधीय पौधों की खेती अपनाकर
अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए। खेती पर बढ़ती लागत और कम हो रही जोत के दृष्टिगत उपरोक्त
फसलें कारगर सिद्ध हो सकती हैं। प्रदेश में जौ का उत्पादन बढ़ाने तथा किसानों की आर्थिक
स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए
जा रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को बैटरी ऑपरेटिड स्प्रे पम्प व प्रमाण
पत्र देकर सम्मानित किया।
कुलसचिव डॉ. पवन कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई गेहूं
की उन्नत किस्में देश के खाधान्न भंडार में इजाफा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही
हैं।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा कि किसानों को प्रशिक्षण देने से खाद्य
उत्पादन में और अधिक बढ़ोतरी होगी तथा किसान नवीनतम कृषि तकनीकों का उपयोग करके कम
लागत में अधिक पैदावार ले सकेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गेहूं की विकसित की
गई उन्नत किस्मों एवं अनुसंधान कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. गजराज दहिया ने सभी का स्वागत किया
किया जबकि गेहूं एवं जौ अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में
सभी का धन्यवाद किया जबकि मंच का संचालन डॉ. ओपी बिश्नोई ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर