देश में निर्मित पहली एमआरआई मशीन दिल्ली के एम्स में लगेगी

नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। भारत ने अपनी पहली स्वदेशी 'मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग'( एमआरआई ) मशीन विकसित की है। इसे जल्दी ही दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थापित किया जाएगा। इसी साल अक्टूबर में यह मशीन काम करना शुरू कर देगी। फिलहाल, इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा लेकिन अक्टूबर से इसका इस्तेमाल आधिकारिक तौर पर शुरू किया जाएगा। इस मशीन से कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों की जांच सस्ती हो सकेगी।
मंगलवार को इस संंबंध में एम्स और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाला सोसायटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (समीर आरएनडी) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस कदम का उद्देश्य उपचार लागत और आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता को कम करना है, क्योंकि वर्तमान में 80-85 प्रतिशत उपकरण आयात किए जाते हैं। स्वदेशी एमआरआई मशीन भारत को चिकित्सा प्रौद्योगिकी में अधिक आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।
इस मौके पर एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि संस्थान आज अपनी पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन स्थापित कर रहा है। इसका लाभ यह होगा कि हम सर्वोत्तम वैश्विक उपकरणों का उपयोग करते हुए, स्वेदशी मशीन के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दे सकेंगे। इससे मशीन बनाने वाली कंपनी समीर आरएनडी और संबंधित संस्थानों को आवश्यक परिवर्तन करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ उपकरण हैं।
एमआरआई स्कैन के लिए शक्तिशाली चुंबकों, रेडियो किरणों और कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है, जिसकी मदद से शरीर की जानकारी को विस्तृत तस्वीरों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। इस परीक्षण का उपयोग हड्डियों, मांसपेशियों, मस्तिष्क पदार्थ, जोड़ों, धमनियों और बहुत कुछ को देखने के लिए किया जा सकता है। एमआरआई सबसे कम हानिकारक परीक्षणों में से एक है और इसका उपयोग दुनिया भर के डॉक्टर सटीक निदान और उपचार योजना बनाने के लिए करते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी