भारतीय नववर्ष केवल एक तिथि परिवर्तन नहीं है: संजय श्रीहर्ष

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भारतीय नववर्ष केवल एक तिथि परिवर्तन नहीं है: संजय श्रीहर्ष


भारतीय नववर्ष केवल एक तिथि परिवर्तन नहीं है: संजय श्रीहर्ष


लखनऊ,04 अप्रैल (हि.स.)। हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में युवराष्ट्र लखनऊ विभाग की ओर से शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में 'हिंदू नववर्ष उत्सव की शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक विवेचना'विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष उपस्थित रहे। उन्होंने विस्तार से हिन्दू नववर्ष की वैज्ञानिकता एवं सांस्कृतिक आधार पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय नववर्ष केवल एक तिथि परिवर्तन नहीं है बल्कि खगोलीय दृष्टि से प्रमाणित है।संजय श्रीहर्ष ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदूषण के कारण पर्यावरण में बहुत विचित्रता आ गयी है। इसलिए पंचांग में बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। वर्तमान में यह केन्द्र बिन्दु महाकाल मंदिर से 22 किलोमीटर पीछे चला गया है। संजय श्रीहर्ष ने कहा कि भारत में एक नहीं, 16 विक्रमादित्य हुए हैं।

इस अवसर पर छात्र अरिदमन सिंह ने 'विश्व को हमारे पुरखों के सामने झुकना पड़ेगा' सुन्दर सा गीत प्रस्तुत किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष संजय गुप्ता मंचासीन रहे। उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य शुचिता चतुर्वेदी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के संयोजक सुमित अवस्थी ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शरद मिश्र ने कहा कि अपने गौरवशाली इतिहास से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। राष्ट्र के बारे में सोचें। भारतीय संस्कृति व विरासत पर गर्व करें और उनका संरक्षण करें।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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