किरन धस्माना ने स्वयं के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया

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किरन धस्माना ने स्वयं के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया


पौड़ी गढ़वाल, 23 मार्च (हि.स.)। आज ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी मेहनत और जुनून के बलबूते महिलाएं आर्थिक रुप से सक्षम होने लगी हैं। सरकारी मदद मिलने के बाद महिलाएं स्वयं तो आर्थिक रुप से स्वावलंबी हो रही हैं, साथ ही अन्य को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। ऐसे ही विकास खंड एकेश्वर के सिमारखाल गांव की किरन धस्माना ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी है, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग दिखाया है।

उनकी फल संस्करण यूनिट महिला सशक्तिकरण और उद्यमशीलता का एक सशक्त उदाहरण है, जो ग्रामीण समुदाय में सकारात्मक बदलाव ला रही है। किरन धस्माना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित श्रौनक समूह से जुड़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा उन्हें व्यक्तिगत उद्यम गतिविधि के तहत फल संस्करण की यूनिट स्थापित करने के लिए चुना गया। इस यूनिट की कुल लागत 12 लाख 5 हजार रुपये थी। जिसमें उन्होंने 5 लाख 45 हजार रुपये बैंक ऋण के रूप में और 6 लाख 30 हजार रुपये लाभार्थी अंश के रूप में लगाए। ग्रामोत्थान परियोजना ने उन्हें 30 हजार रुपये का सहयोग भी प्रदान किया। इससे उन्होंने अपनी यूनिट की स्थापना की।

आज उनकी यूनिट में आंवला, माल्टा, नींबू, बुरांश सहित स्थानीय फल-फूलों का स्क्वैश तैयार किया जा रहा है। साथ ही वह लहसुन, तिमला, आम, आंवला, गीठी, कटहल, प्याज और बांस का अचार भी बना रही हैं। कृषि विभाग की परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत उन्हें 3 क्विंटल बीज भी प्रदान किए गए हैं। किरन अपने उत्पादों को सतपुली, कोटद्वार, पौड़ी और देहरादून जैसे बड़े बाजारों में बिक्री के लिए उपलब्ध करा रही हैं। इस साल उनकी यूनिट ने तीन लाख रुपये का व्यवसाय किया। किरन ने दो महिलाएओं को स्थायी और एक महिला को अस्थायी रोजगार दिया है।

इसके अलावा डिमांड को देखते हुए अन्य महिलाओं से भी काम कराया जाता है। किरन की मेहनत को देखते हुए कृषि विभाग ने उनको परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत आउटलेट सेंटर उपलब्ध कराया है। ग्रामोत्थान परियोजना के जिला प्रबंधक कुलदीप बिष्ट बताते हैं कि किरन ने गांव में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए हैं। किरन का यह प्रयास न केवल उनके परिवार के लिए आर्थिक स्थिरता लेकर आया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है। किरन की कहानी साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और थोड़े से सहयोग से ग्रामीण महिलाएं भी बड़े सपने साकार कर सकती हैं। उनका यह प्रयास न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन गया है।

क्या कहते है अधिकारी

हमारा प्रयास है कि गांव में ही ग्रामीणों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो। जिस तरह से महिलाएं स्वरोजगार में रुचि दिखा रही हैं, वह भविष्य के लिए सुखद संदेश है। किरन की तरह अन्य महिलाएं भी स्वरोजगार से आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकती हैं।

-गिरीश गुणवंत, मुख्य विकास अधिकारी, पौड़ी

हिन्दुस्थान समाचार / कर्ण सिंह

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