हरियाणा को मिला राज्य गीत, सभी कार्यक्रमाें में राष्ट्रगान के बाद सुना जाएगा

-विधानसभा में सर्वसम्मति से हुआ पास, सभी विधायकों ने खड़े होकर सुना
चंडीगढ़, 28 मार्च (हि.स.)। हरियाणा को पहली बार अपना राज्य गीत मिला है। शुक्रवार को विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन मामूली चर्चा के बाद यह गीत सर्वसम्मति से पास हो गया। अब हरियाणा में होने वाले प्रत्येक सरकारी कार्यक्रम के दौरान यह गीत सुना जाएगा।
सोनीपत की गीतू परी और फतेहाबाद के कृष्ण कुमार सहित 3 लोगों ने राज्य गीत पर आपत्ति दर्ज करवाई थी। जांच के बाद इन आपत्तियों को खारिज कर दिया गया। शुक्रवार को विधानसभा में हरियाणा राज्य गीत कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि गीत से कुछ अनावश्यक शब्द हटाए गए। गीत के भाव और भाषा को लेकर भी सुझाव दिए गए। इसमें पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सुंदर गोरी महिलाओं के शब्द पर कहा था कि काली कहां जाएंगी? जिसके बाद इसमें सुंदर स्याणी नारी को शामिल किया गया।
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने सदन में सुझाव दिया कि भविष्य में सदन में राष्ट्रगान के साथ ही राज्य गीत का भी स्मरण किया जाए। इस गीत को पानीपत के डॉ. बालकिशन शर्मा ने लिखा है। डॉ.श्याम शर्मा गायक, पारस चोपड़ा कम्पोजर और रोहतक की मालविका पंडित ने डायरेक्ट किया है। खास बात यह है कि गीत के लिए प्रदेश सरकार से किसी भी कलाकार ने कोई फीस नहीं ली।
लक्ष्मण यादव ने बताया कि राज्य गीत को चयन कमेटी ने 12 बैठकों के बाद फाइनल किया है। 15 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा राज्य गीत चयन के लिए प्रस्ताव लेकर आए थे। 19 दिसंबर 2023 को सदन में राज्य गीत के प्रारूप पर विस्तृत चर्चा हुई और इसके चयन को लेकर 5 विधायकों की समिति का गठन किया गया था। कमेटी के पास 204 गीत पहुंचे थे। इनमें से कमेटी ने 3 गीतों का चयन किया। आखिरी मंथन के बाद ‘जय जय जय हरियाणा’ गीत को फाइनल किया गया।
तीन मिनट के गीत में हरियाणा को वेदों की पावन धरती के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया और महाभारत का इतिहास रचा गया। भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा की विशेषता बताते हुए गीत में शिवालिक पर्वत श्रृंखला, अरावली पर्वत और यमुना नदी का जिक्र किया गया है। साथ ही प्राचीन सरस्वती नदी के महत्व को भी दर्शाया गया है। हरियाणवी जीवनशैली की सादगी को दूध-दही के खानपान के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। गीत में राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को बताया गया है। यहां होली, दिवाली, ईद और गुरुपर्व जैसे सभी धर्मों के त्योहार मिलजुल कर मनाए जाते हैं। राज्य की प्रगति को शिक्षा और व्यापार के विकास से जोड़ा गया है। सांग और रागनी जैसी लोक कलाओं का भी उल्लेख है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा