जितनी स्पष्ट आपकी पहचान होगी, उतनी ही सरलता आपके जीवन में होगी: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद


—सनातनी नववर्ष पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने दिया शिव संदेश,सनातनी पंचांग का किया विमोचन
वाराणसी,30 मार्च (हि.स.)। सनातनी नववर्ष के पहले दिन रविवार को ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शंकराचार्य घाट पर विश्वभर के सनातन धर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने सनातनी पंचांग का विमोचन करते हुए वार्षिक फलादेश और अन्य धार्मिक साहित्य का भी अनावरण किया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने शिव संदेश में कहा कि हम वो हैं जो अपनी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं, बल्कि गोत्र (गोरक्षाव्रत) से करते हैं। हमारा धर्म हमें बताता है कि यदि हम धार्मिक बनना चाहते हैं, तो किसी उपदेष्टा में उलझने की बजाय सत्य शाश्वत धर्म के मर्म को समझना चाहिए और उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इससे हमारा मानव जीवन धन्य बनेगा।
उन्होंने अपनी पहचान को स्पष्ट रखने पर जोर देते हुए कहा कि जितनी स्पष्ट आपकी पहचान होगी, उतनी ही सरलता आपके जीवन में होगी। शंकराचार्य ने कहा कि याद रखिये कि आप कौन हैं? अपनी पहचान को साफ रखिये। उन्होंने बताया कि इस वर्ष हम पूरे विश्व को सामान्य धर्मों की शिक्षा देने का प्रयास करेंगे। इस संवत्सर हमने तैंतीस करोड लोगों से सम्पर्क कर उनसे संवाद स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। जिसे तकनीकी और जीवंत धर्मदूतों के माध्यम से पूरा करना चाहेंगे, इसमें गो—कुल, गुरुकुल और सत्कुल जैसे विषय शामिल होंगे।
उन्होंने गो—नीति को आगे बढ़ाने के लिए एक विशेष अभियान का ऐलान किया, जिसमें ‘तैंतीस कोटि गौमतदाता ,तीन लाख श्रीरामाधाम । कुछ हजार जो बूचडखाने सुधरें, तो हो गौ का काम’ के लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास आरंभ कर दिये जायेंगे। इसके अंतर्गत, वाराणसी को पायलट जिला बनाते हुए कार्य आरंभ किया जाएगा।
—प्रातर्मंगलम् का वार्षिकोत्सव भी सम्पन्न
सनातनी नववर्ष के अवसर पर शंकराचार्य घाट पर प्रातर्मंगलम् का वार्षिकोत्सव भी मनाया गया। शंकराचार्य घाट पर योगाभ्यासियों को योग, आसन, प्राणायाम और गणेश वन्दना, सूर्य नमस्कार, शिव परिक्रमा, विष्णु ध्यान और गंगा आरती के माध्यम से पंचदेवोपासना के संस्कार के साथ उत्तम स्वास्थ्य की शिक्षा दी जाती है। कार्यक्रम में शारदानंद ब्रह्मचारी, साध्वी शारदाम्बा, साध्वी पूर्णाम्बा, स्वामी श्रीनिधिरव्यानन्द सागर, परमात्मानन्द ब्रह्मचारी, प्रभुप्रभूतानन्द ब्रह्मचारी, स्वयंभवानन्द ब्रह्मचारी, हृदयनन्द ब्रह्मचारी, संजय पाण्डेय, सौवीर नागर, रंजन शर्मा, शम्भूशरण पाण्डेय सहित अन्य भक्तजन उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी