संस्कृति और चिकित्सा का संगम, भारतीय वनस्पतियों का महत्व

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संस्कृति और चिकित्सा का संगम, भारतीय वनस्पतियों का महत्व


मीरजापुर, 4 फ़रवरी (हि.स.)। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्राम सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चुनार में मंगलवार को इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल और वनस्पति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एन.के. दूबे ने भारतीय औषधीय पौधों के महत्व और उनके संरक्षण पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के अंतर्गत देशी औषधीय पौधों की पहचान, उनके संरक्षण और उन्हें वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के लिए आवश्यक प्रयासों पर चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. माधवी शुक्ला ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में भारतीय संविधान में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से जुड़े विधेयकों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. चंदन साहू ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यक्तिगत प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया और सभी से अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर प्रकृति के प्रति जागरूक होने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. शिखा तिवारी ने किया, जबकि आईआईसी प्रेसिडेंट डॉ. सूबेदार यादव ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम की सह संयोजिका डॉ. विद्या सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. कुसुम लता, डॉ. रजनीश, डॉ. मनोज कुमार प्रजापति, डॉ. दीप नारायण, डॉ. सत्येंद्र कुमार सहित महाविद्यालय के अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

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