भारतीय सेना के साथ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और सिमुलेशन हमारी विशेषज्ञता को दर्शाता है : प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल

कानपुर, 29 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना के साथ यह सहयोग एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और सिमुलेशन में हमारी विशेषज्ञता को दर्शाता है। हमारे मजबूत अनुसंधान आधार और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ आईआईटी कानपुर ड्रोन प्रौद्योगिकी के लिए एक अग्रणी केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है। जो रक्षा और एयरोस्पेस नवाचार में भारत की आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाएगा। यह बातें शनिवार को आईआईटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कही।
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) ने ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए एक प्रणाली के रूप में उन्नत रिमोट पायलटिंग ट्रेनिंग मॉड्यूल (आरपीटीएम) और सॉफ्टवेयर-इन-द-लूप सिम्युलेटर (एसआईटीएल) विकसित करने के लिए भारतीय सेना के मुख्यालय मध्य कमान के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य उन्नत सिमुलेशन प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके भारतीय सेना की प्रशिक्षण क्षमताओं को बढ़ाना, दक्षता में सुधार करना, लागत कम करना और जोखिम को न्यूनतम करना है।
आईआईटीके के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. सुब्रह्मण्यम ने बताया कि आरपीटीएम और एसआईटीएल मॉड्यूल ऑपरेटरों को ड्रोन उड़ाने और प्रबंधित करने का प्रशिक्षण देने के लिए वास्तविक दुनिया की स्थितियों का अनुकरण करेंगे, जिससे वास्तविक समय में महंगे अभ्यास की आवश्यकता कम होगी और सटीकता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप