मप्रः हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती में 13 फीसदी पद होल्ड रखने पर सरकार तलब किया जवाब

जबलपुर, 20 मार्च (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शिक्षक भर्ती में होल्ड किए गए अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने 87-13 फीसदी फार्मूले को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया। अदालत ने पूछा है कि 13 फीसदी अभ्यर्थियों की भर्ती होल्ड क्यों रखी गई, जबकि इस संबंध में उच्च न्यायालय का कोई आदेश नहीं था।
उच्च न्यायालय ने सरकार को 2019 से हुई सभी शिक्षक भर्तियों की जानकारी पेश करने का निर्देश दिया। सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि द्वितीय काउंसलिंग में ओबीसी वर्ग के 1000 से अधिक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए और न ही इसका कोई लिखित कारण दिया गया।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिवम गौतम की याचिका में 4 अप्रैल 2022 को पारित अंतरिम आदेश के चलते ओबीसी वर्ग की नियुक्ति रुकी हुई है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह याचिका हाई कोर्ट से निपटाई जा चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई, जहां कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं हुआ। बल्कि, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 24 फरवरी 2025 को छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण लागू करने की अनुमति दी थी।
हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि जब दोनों राज्यों का मामला समान है, तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश मध्य प्रदेश में लागू क्यों न किया जाए। महाधिवक्ता ने सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा। अंतरिम आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सेवा की सभी भर्तियों में, चाहे प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो, ओबीसी के 13% पद रिक्त रखे जाएं। ये पद याचिकाओं के निर्णय के बाद भरे जाएंगे। सरकार को 2019 से अब तक की सभी भर्तियों का पूरा ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर