गुरुग्राम: ईसीएमओ थैरेपी फेफड़े के खतरनाक रोग में रामबाण

-ईसीएमओ थैरेपी जीवनरक्षक साबित हो रही
गुरुग्राम, 28 मार्च (हि.स.)। गंभीर रूप से जीवन घाती फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए एक्सट्राकॉर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) थैरेपी जीवनरक्षक साबित हो रही है। ईसीएमओ थैरेपी न सिर्फ जीवनरक्षक है, बल्कि अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों को आवश्यक सहायता भी देती है। उन्हें ऐसे रोगों से रिकवरी में मदद करती है। यह थैरेपी जीवन घाती स्थिति से ग्रस्त मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है। क्योंकि यह उनकी सरवाइवल रेट को बेहतर बनाने में सहायक है।
यहां के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मेडिकल के क्षेत्र में नया प्रयोग करते हुए 150 से अधिक ऐसे मरीजों का एक्सट्राकॉर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) थैरेपी से सफलतापूर्वक उपचार किया है। मीडिया से रूबरू होते हुए फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में क्रिटिकल केयर मेडिसिन एंड ईसीएमओ के सीनियर डायरेक्टर एंड एचओडी डॉ. संदीप दीवान ने कहा कि ईसीएमओ ने गंभीर मरीजों का जीवन बचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कई मरीजों में आशा की किरणें खो चुकी होती हैं। ईसीएमओ बाहरी लाइफ सपोर्ट सिस्टम के तौर पर हृदय और फेफड़ों की भूमिका निभाती है, ताकि शरीर के जरूरी अंगों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। ईसीएमओ मैनेजमेंट एक जटिल प्रक्रिया है।
इसके लिए अत्यंत कुशल तथा मल्टी-डिसीप्लीनरी टीम की आवश्यकता होती है। जिसमें इंटेंसीविस्ट्स के अलावा पल्मोनोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, परफ्यूशनिस्ट और क्रिटिकल केयर नर्सेज आपस में भरपूर तालमेल बनाए रखकर रियल-टाइम में पूरी स्थिति को मॉनीटर कर उपचार में आवश्यकतानुसार बदलाव करते रहते हैं। मुनीष चौहान, एडिशनल डायरेक्टर-क्रिटिकल केयर मेडिसिन एंड एक्मो, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा कि ऐसे मामलों से ही उन मरीजों का जीवन बचाने की ईसीएमओ थैरेपी की क्षमता और भी स्पष्ट होती है, जो जीवनघाती श्वसन रोगों से जूझ रहे होते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर