धमतरी जिले के मगरलोड ब्लाक में स्थित मां निरई के गुफा के अंदर जलेगी आस्था की जोत

धमतरी, 29 मार्च (हि.स.)।धमतरी जिले के मगरलोड ब्लाक के जंगल-झाड़ियों के बीच ऊंची पहाड़ी में अदृश्य रूप में मां विराजित है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था सिर्फ विश्वास पर टिकी हुई है। मां निरई की मंदिर नही है बल्कि गुफा के अंदर ही रविवार को नवरात्रि के पहले दिन स्वत: ही जोत प्रज्जवलित होगी। विश्वास व आस्था की देवी मां निरई में जातरा लगेगी, जहां सुबह से शाम तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देवी-दर्शन के लिए उमड़ेगी।
मगरलोड विकासखंड से 35 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मोहेरा के आश्रित ग्राम निरई की पहाड़ी पर मां निरई माता अदृश्य रूप में विराजमान है, जो श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर अंचल के देवी भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू हो रही है, प्रथम दिवस, प्रथम रविवार 30 मार्च को जातरा होगी। ऐसे में यहां मां के भक्तों की भीड़ मनोकामना के लिए मां निरई के दरबार में पूजा-अर्चना के लिए उमड़ेगी। निरई मंदिर नही बल्कि गुफा के अंदर दीप प्रज्ज्वलित होती है। निरई माता में गुलाल, बंदन नहीं चढ़ाया जाता। नारियल व अगरबत्ती से माता को मनाया जाता है। इस पहाड़ी में विराजमान देवी की खासियत यह है कि यहां हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान स्वत: ही ज्योति प्रज्जवलित होती है।इस दैवीय चमत्कार की वजह से लोग देवी के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं। ज्योति कैसे प्रज्वल्लित होती है, यह आज तक पहेली बना हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो यह निरई देवी का ही चमत्कार है कि बिना तेल के ज्योति नौ दिनों तक जलती रहती है।
ग्राम मोहेरा के पहाड़ी में माता निरई की ग्रामीण श्रद्धा-भक्ति से पूजा-अर्चना करते हैं। माता के भक्ति में लोगों को इतना विश्वास है कि इस पहाड़ी में माता निरई की मूर्ति है न मंदिर, फिर भी लोग श्रद्धा व विश्वास से इसे पूजते हैं।इसके पीछे कई साल पुरानी मान्यता है कि आज से दो सौ वर्ष पूर्व मोहेरा ग्राम के मालगुजार ने निरई माता की पूजा करने बहुरसिंग ध्रुव के पूर्वजों को छह एकड़ जमीन दान में दिए थे। जमीन में कृषि कर आमदनी से माता की पूजा पाठ जातरा संपन्न हो रहा है। बताया जाता है कि निरई माता मनोवांछित फल देने वाली है। क्षेत्र के प्रसिद्ध मां निरई माता गुफा में ग्राम मोहेरा में प्रति वर्ष चैत्र नवरात्र के प्रथम रविवार को जात्रा कार्यक्रम में श्रद्धालु जुटते हैं। वर्ष में एक दिन ही माता निरई के दरवाजे आम लोगों के लिए खोले जाते हैं। बाकी दिनों में यहां आना प्रतिबंधित होता है। जय निरई माता सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि 30 मार्च रविवार को माता की पूजा का समय सुबह 10 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक रखा गया है। पहाड़ी में शराब पीकर चढ़ने वाले को माता पसंद नहीं करती हैं । उन पर मधुमक्खी टूट पड़ती है। जातरा में छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा