शोध करना सामान्य जीवन के अनुभवों से सीखे: डॉ सरोज रंजन

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शोध करना सामान्य जीवन के अनुभवों से सीखे: डॉ सरोज रंजन


-नैतिक मूल्यों को साधते हुए शोध करने की आवश्यकता है: डॉ संतोष कुमार त्रिपाठी

पूर्वी चंपारण,28 मार्च (हि.स.)।महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला में शोध कार्य के दौरान आने वाले नैतिक मुद्दों पर केंद्रित सत्र का शुक्रवार को आयोजित किया गया।

कार्यशाला के सातवें दिन के पहले और दूसरे तकनीकी सत्र में प्रबंधन विभाग, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के डॉ सरोज रंजन ने शोध से संबंधित नैतिक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि, किसी विषय पर शोध करते समय हमारे पास बहुत से ऐसे नैतिक मुद्दे आते हैं जिनका हमें ध्यान रखना होता है।शोध के लिए समान्य जीवन के अनुभवो से सीखने की जरूरत है। उन्होंने शोध की पूरी प्रक्रिया को वास्तविक जीवन के उदाहरणों से जोड़कर समझाया।

उन्होंने कहा की शोध में नैतिकता प्रत्येक स्तर पर होनी चाहिए। आंकड़ा संग्रह से लेकर उसके विश्लेषण, प्रस्तुतिकरण, प्रकाशन के प्रत्येक चरण में शोध नैतिकता का पालन किया जाना चाहिए।तीसरे तकनीकी सत्र में भौतिकी विभाग के डॉ संतोष कुमार त्रिपाठी ने शोध में सूचित सहमति की आवश्यकता पर बल देते हुए शोध के नैतिक पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि, शोधार्थियों को सभी उत्तरदाताओं से सहमित लेकर ही उनका डेटा उपयोग में लेना चाहिए तथा सहमति के लिए उत्तरदाता का सक्षम होना जरूरी है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि उत्तरदाता को विश्वास में लेकर उनके उत्तर का उपयोग करने से शोध में गंभीरता और विश्वसनीयता बनी रहती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार

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