बीएचयू प्रशासन के खिलाफ फिर मुखर हुए डा. ओमशंकर, नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का लगाया आरोप, दी चेतावनी
वाराणसी। बीएचयू अस्पताल के कार्डियोलाजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डाक्टर ओम शंकर बीएचयू प्रशासन के खिलाफ फिर मुखर हो गए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल को समाप्त किए जाने पर सवाल खड़े किए। वहीं बीएचयू में होने वाली नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने इसकी शिकायत राष्ट्रपति से करने की चेतावनी दी। यदि राष्ट्रपति के यहां सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने कहा कि 55 दिन के लिए इस आरोप में हटा दिया गया कि हम आमरण अनशन के दौरान कार्य नहीं कर रहे थे। जब हमने पत्राचार किया तो कुलपति ने पुनः हमें विभागाध्यक्ष बना दिया। मेरा कार्यकाल समाप्त होने की बात कहकर मुझे हटाया जा रहा है। हमें 55 दिनों तक जो हटाया गया उसका विस्तार भी नहीं किया गया। इसको लेकर हमने कुलपति को पत्र भी लिखा था। कहा कि जितने दिन हम आमरण पर थे, इतने दिन हमने 24 घंटे मरीजों की सेवा की। उन्हें देखा और चिकित्सकीय सलाह भी दी। इसके साक्ष्य बीएचयू के लोकल इंटेलिजेंस और सीसीटीवी फुटेज में कैद है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार कर महामना की बगिया को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। हमें पद से हटकर हमारे विभाग में चार भर्तियां निकाली गई। इसमें मनपसंद लोगों की भर्तियां सुनिश्चित की गई हैं। इसका हमारे पास प्रूफ है। उन्होंने कहा कि बीएचयू प्रशासन के हिसाब से हमारा कार्यकाल आज खत्म हो रहा है, परंतु हमें अभी 55 दिन का कार्य विस्तार मिलना चाहिए। उन्होंने इस बात का भी आरोप लगाया कि गैस्ट्रोलॉजी विभाग में काबिल डॉक्टरों को पदोन्नति नहीं दी जा रही है। उन्हें यह कहते हुए पदोन्नत नहीं किया जा रहा कि वे इसके काबिल नहीं हैं।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर गैस्ट्रोलॉजी विभाग में डॉक्टर अगर काबिल नहीं है तो उन्हें रखा कैसे गया और रखा गया तो क्या वह लोग पदोन्नति के काबिल नहीं है यह दोनों बातें कैसे हो सकती है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमारे विभाग में भर्तियां की गई तो आमरण अनशन या धरना प्रदर्शन को बाध्य होंगे। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी कुलपति की होगी।
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