Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा का व्रत क्यों किया जाता है? यहां जानें इसकी डेट और महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही शुभ माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, चैत्र पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा है. चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती भी पड़ रही है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा पर ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि 2025 अप्रैल में चैत्र पूर्णिमा कब है और चैत्र पूर्णिमा का व्रत क्यों किया जाता है?
चैत की पूर्णिमा किस तारीख को है?
पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को रात 3:21 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस पूर्णिमा तिथि का समापन 13 अप्रैल को सुबह 5:51 पर होगा. चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी.
चैत्र पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:29 मिनट से सुबह 5:14 मिनट तक रहेगा.
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:56 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट तक रहेगा. यह दोनों मुहूर्त स्नान और दान के लिए शुभ रहेंगे.
चैत्र पूर्णिमा का महत्व
चैत्र पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के अलावा सत्य नारायण की पूजा करने का भी विधान है. पूर्णिमा के दिन परिवार सहित सत्य नारायण कथा सुनने से भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है. चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु को खीर, मिठाई और फल का भोग लगाना चाहिए. साथ ही, विष्णु जी के मंत्रों का भी जाप करना चाहिए.
भगवान विष्णु जी के मंत्र
ॐ नमो : भगवते वासुदेवाय ॐ नमो : नारायणाय
पूर्णिमा का व्रत क्यों किया जाता है?
ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा का व्रत करने के कई कारण हैं:-
पूर्णिमा को भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव का विशेष दिन माना जाता है.
पूर्णिमा के दिन व्रत करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और पारिवारिक सुख मिलता है.
पूर्णिमा पर चंद्रमा परिपूर्ण होता है, इसलिए यह दिन समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक माना जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत करने से शरीर और मन को शांति मिलती है.
पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-दौलत और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा का व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
मान्यता है कि पूर्णिमा का व्रत करने से घर में सुख-शांति का वास रहता है.
चैत्र पूर्णिमा का व्रत करने से अचल सौभाग्य की प्राप्ति होती है.